मध्य प्रदेश: जज की 'गांधीगिरी', सस्पेंशन ऑर्डर के विरोध में करेंगे साइकिल यात्रा
आपको बता दें कि पिछले 15 महीनों में चार बार ट्रान्सफर होने के विरोध में श्रीवास पिछले हफ्ते हाईकोर्ट के बाहर धरने पर बैठे थे. धरने पर बैठने से पहले ही श्रीवास को नीमच जिले में ट्रांस्फर कर दिया गया था.
नई दिल्ली: देश की न्यायपालिका इन दिनों चर्चे में है. अभी जहां कुछ दिनों पहले कलकत्ता हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस कर्णन का मामला सुर्खियों में था, अब वहीं मध्य प्रदेश के एक एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज आरके श्रीवास का मामला सुर्खियों में हैं. न्यायपालिका के कुछ नियमों का विरोध करते हुए कुछ जज लगातार चर्चा में बने हुए हैं.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एडिशनल डिस्ट्रिक जज श्रीवास को अनुशासनहीनता के लिए सस्पेंशन ऑर्डर थमा दिया है. इसके विरोध में श्रीवास ने फैसला किया हैं कि अब वे एक साइकिल यात्रा निकालेंगे.
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि पिछले 15 महीनों में चार बार ट्रान्सफर होने के विरोध में श्रीवास पिछले हफ्ते हाईकोर्ट के बाहर धरने पर बैठे थे. धरने पर बैठने से पहले ही श्रीवास को नीमच जिले में ट्रांस्फर कर दिया गया था. पहले तो उन्होंने इस तबादले का विरोध किया लेकिन बाद में पोस्ट ज्वाइन कर ली. इसके कुछ ही घंटे के भीतर हाईकोर्ट ने अनुशासनहीनता के लिए उन्हें सस्पेंशन ऑर्डर थमा दिया था. उनकी यह साइकिल यात्रा उनके अंतिम पोस्टिंग की जगह नीमच से शुरु होकर जबलपुर तक होगी, जहां पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट स्थित है.
‘जजों की ट्रान्सफर पॉलिसी’ को लेकर लिखी थी SC को चिट्ठी
अभी हाल में ही श्रीवास का नीमच में किया गया यह ट्रान्सफर अप्रैल 2016 के बाद चौथा ट्रान्सफर था, इसके पहले उनकी पोस्टिंग मार्च महीनें में हाईकोर्ट में ओएसडी के पद पर हुई थी. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक उन्होंने इस साल फरवरी महीनें में ही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को ‘जजों की ट्रान्सफर पॉलिसी’ पर आपत्तियों को लेकर चिट्ठी लिखी थी. श्रीवास का कहना हैं कि कई जज इस ट्रान्सफर पॉलिसी से नाखुश हैं लेकिन मुंह खोलने की हिम्मत किसी में नहीं हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब मैंने ट्रांस्फर पॉलिसी के खिलाफ अपनी आवाज उठाई तो मेरा लगातार तबादला किया जाने लगा.
अपने ट्रांस्फर से परेशान श्रीवास ने कहा, ''लगातार हो रहे तबादले के चलते मेरे बच्चों का एजुकेशन प्रभावित हुआ.''