MP Government: मध्यप्रदेश में पटवारी की भर्ती ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं. राज्य में छह हजार पदों के लिए 12 लाख से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया है, मगर हैरानी इस बात की है कि पटवारी बनने की लाइन में इंजीनियरिंग, एमबीए और पीएचडी की पढ़ाई करने वाले भी लग गए हैं. कांग्रेस ने इसे प्रदेश के बेरोजगारों की मजबूरी बताया है, वहीं बीजेपी ने दावा किया कि सरकार बेरोजगारों को नौकरी मुहैया करवा रही है.


सरकारी चपरासी बनने को भी तैयार युवा


भोपाल के एक कोचिंग सेंटर पर एडमिशन लेने आए सचिन त्रिपाठी ने बीई करने के बाद एम टेक किया, मगर अब तक उनको बेहतर रोजगार नहीं मिला है. सचिन ने नौकरी की तलाश में पटवारी का फॉर्म भरा है और पटवारी बनने का सपना देख रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि इतनी पढ़ाई लिखाई के बाद पटवारी क्यों? वहीं, सचिन की तरह ही नितिन बघेल ने 2014 में इंजीनियरिंग करने के बाद आईटी कंपनियों में काम किया, लेकिन मन नहीं लगा तो अब सरकारी नौकरी का ख्वाब पाल बैठे हैं. नितिन पटवारी के साथ ही सरकारी चपरासी बनने को भी तैयार हैं.


चार लाख से ज्यादा आवेदक उच्च शिक्षा प्राप्त


सचिन और नितिन की तरह ढेरों पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक-युवतियां हैं जो अब बहुत ज्यादा पढ़ाई करने के बाद पटवारी बनने की कतार में हैं. मध्यप्रदेश सरकार ने पांच साल बाद पटवारी की पोस्ट निकाली है, जिसमें करीब छह हजार 755 पदों के लिए 12 लाख 79 हजार आवेदन आ गए हैं. इसके लिए स्नातक तक की पढ़ाई के ही आवेदन मांगे गए थे, लेकिन चार लाख से ज्यादा आवेदक वो हैं जिनके पास स्नातक से ज्यादा क्वालिफिकेशन है. यानी कि इसमें स्नातकोत्तर, बीई, एमबीए और पीएचडी धारक भी शामिल हैं.


पटवारी बनने के लिए पिछली बार से दो लाख से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया है. इसमें पीएचडी के एक हजार, बीटेक या बीई के 85 हजार, एमबीए के एक लाख, स्नातकोत्तर के एक लाख 80 हजार लोगों ने फॉर्म भरे हैं. वहीं, इंजीनियरिंग डिप्लोमा के भी पांच हजार से ज्यादा अभ्यर्थी पटवारी बनना चाहते हैं. 


20 लाख से ज्यादा शिक्षित बेरोजगार


दरअसल, मध्यप्रदेश में बेरोजगारों की हालत दिनों दिन बिगड़ रही है. प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा एमपीपीएससी में भर्तियां पिछले तीन साल से कोर्ट कचहरी और आरक्षण के कारण लटकी हुई हैं. अन्य विभागों में जितने पद खाली हैं उनके मुकाबले कम लोगों को लिया जा रहा है. प्रदेश में 20 लाख से ज्यादा शिक्षित बेरोजगार हैं जिस कारण पटवारी सरीखी भर्तियों मे बेरोजगार लोग टूट पड़ते हैं.


पूरी होती नहीं दिख रही घोषणा 


मध्यप्रदेश सरकार महीने में एक दिन रोजगार दिवस मनाती है. हालांकि सरकार का जोर सरकारी नौकरी देने से ज्यादा स्वरोजगार के लिए लोन दिलवाना है. मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि इस चुनावी साल में एक लाख से ज्यादा लोगों को सरकारी नौकरी देंगे मगर जमीन पर ये घोषणा पूरी होती नहीं दिख रही.


बता दें कि पटवारी की परीक्षा 15 मार्च को दो शिफ्टों में ऑन लाइन होनी है. इसके लिए कोचिंग सेंटर में अलग-अलग बैच और किताबें आ गई हैं. मगर इस छोटी सी नौकरी में बड़ी-बड़ी पढ़ाई करने वाले युवक युवतियों की चाहत देख प्रदेश की बेरोजगारी की दर्दनाक तस्वीर दिखने लगती है.


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