नई दिल्ली: महाभारत में एक पात्र हैं विदुर. किंतु और परंतु के बिना उनकी बात खत्म नहीं होती थी. विद्वान होने पर भी विदुर ने कभी भी साफगोई से सच नहीं बोला. आज दोपहर बारह बजे प्रज्ञा ठाकुर लोकसभा में बोलने के लिए खड़ी हुईं. सब यही मान कर चल रहे थे कि वे माफ़ी मांग लेंगी. अपने कहे पर. संसद में उन्होंने नाथूराम गोडसे को देश भक्त बताया था. गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी. प्रज्ञा ने संसद में क्षमा मांग ली. लेकिन विदुर के अंदाज में. माफ़ीनामे के साथ साथ उन्होंने राहुल गांधी को भी लपेट लिया. वो भी बिना उनका नाम लिए.
संसद में प्रज्ञा ने कहा कोर्ट में बिना दोषी करार दिए मुझे एक सांसद ने आतंकवादी कहा. ये एक महिला का, एक संन्यासिन का और एक सांसद का अपमान है. कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस पर हंगामा खड़ा कर दिया. हैदराबाद के एमपी असदुद्दीन ओवैसी ने कहा सांसद ये बताएं कि गोडसे देशभक्त था या फिर गांधी जी का कातिल. इसी हंगामे के बीच निशिकांत दूबे बहस में कूद पड़े. उन्होंने तो राहुल गांधी से सदन में आकर प्रज्ञा से माफ़ी मांगने को कह दिया. राहुल ने ट्वीट कर प्रज्ञा को आतंकवादी बताया था. मीडिया से बात करते हुए राहुल कह गए "मैं तो अपनी बात पर कायम हूं."
संसद में हंगामा होता रहा. आख़िर में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सभी पार्टियों के नेताओं को अपने ऑफिस बुलाया. समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव को भी बीच बचाव करने को कहा. घंटे भर तक मीटिंग चली. तय हुआ प्रज्ञा सिंह ठाकुर फिर से माफ़ी मांगेंगी. उन्होंने सदन में ऐसा ही किया. लेकिन क्या बात यहीं खत्म हो गई ?
इससे पहले भी गोडसे के बहाने प्रज्ञा विवादों में रही हैं. तब प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनको कभी 'मन से माफ नहीं करने' की बात कही थी, लेकिन पीएम के कहने का भी उन पर कोई असर नहीं है. क्या वे इतनी महत्वपूर्ण हैं? क्या प्रज्ञा के बिना बीजेपी नहीं चल सकती है?
पीएम मोदी के डांट-फटकार के बाद भी उन्हें रक्षा मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी का मेम्बर बना दिया गया था. भोपाल की बीजेपी सांसद प्रज्ञा के जब टिकट दिया गया था, तब भी बड़ा विवाद हुआ था. खैर अब तो ये बातें पुरानी हो गई हैं.
सोशल मीडिया में प्रज्ञा ठाकुर के समर्थन में लिखा जा रहा है. उनके नाम से हैशटैग लगा कर ट्रेंड कराया जा रहा है. बदले हुए माहौल में देश भर में एक ऐसा नया समूह तैयार हो गया है. नाथूराम गोडसे को लेकर संसद में जो हुआ. वो एक स्क्रिप्ट थी. वो भी सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे के फार्मूले पर. माफ़ीनामा ये का यही खेल खेला बीजेपी ने. ऐसा पहले भी वे करती रही है. प्रज्ञा ठाकुर ने माफ़ी मांग ली और कांग्रेस को भी घेर लिया. बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने राहुल से माफी की मांग कर राष्ट्रवादियों तक मैसेज देने की कोशिश की. हमारे समाज में क्षमा मांग लेने वाला बड़ा समझा जाता है. फिर बीजेपी नेताओं की ऐसी ज़िद क्यों? आखिर क्यों नहीं सुनते अपने पीएम की ?
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