Madhya Pradesh Vyapam Scam News: मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले के एक मुकदमें में सीबीआई की विशेष अदालत ने तीन आरोपियो को पांच साल के कठोर कारवास की सजा सुनाई है. इस मामले में आरोप है कि आरोपियों ने एक डॉक्टर के बेटे को एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के नाम पर 13 लाख रुपये लिए थे. जिन आरोपियों को सजा सुनाई गई है उनमें से एक कोर्ट में पेश नहीं हो पाया था लिहाजा कोर्ट ने उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.


सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक जिन आरोपियों को सजा सुनाई गई है उनके नाम सौरव कुमार सिंह, उमेश श्रीवास्तव एवं प्रवीन सिंह राठौर हैं. प्रत्येक को पांच वर्ष के कठोर कारावास के साथ 8000/- रु. के जुर्माने की सजा भी सुनाई गई है. इस मामले में सीबीआई ने मध्य प्रदेश के संयोगितागंज पुलिस स्टेशन, इन्दौर में आरोपी के विरुद्ध शिकायत के आधार पर पूर्व में दर्ज मामले की जांच को अपने हाथों में लिया, जिसमें आरोप है कि आरोपी ने एक डॉक्टर (शिकायतकर्ता) के साथ धोखाधड़ी की और इन्दौर स्थित मेडिकल कॉलेज में प्रबन्धन कोटे (Management Quota) से शिकायतकर्ता के पुत्र को प्रवेश दिलाने के लिए 13 लाख रुपये लिए.


सीबीआई के मुताबिक जांच के दौरान पता चला कि आरोपियों ने डॉक्टर (शिकायतकर्ता) को धोखा देने के लिए षडयंत्र रचा और उन्हें आशवस्त किया कि वे पी एम टी के माध्यम से प्रबन्धन कोटे के तहत आने वाली एमबीबीएस की एक सीट की व्यवस्था कर देंगे और इसके लिए प्रारम्भ में उनसे 6.5 लाख रुपये उनसे ले लिए. 


आगे यह आरोप है कि आरोपी ने पीएमटी-2011 का आवेदन पत्र, (जिसे एक आरोपी ने भरा था) उनके पुत्र की फोटोग्राफ, 10वीं के अंकपत्र एवं कागज पर हस्ताक्षर ले लिये. एक आरोपी ने डॉक्टर के पुत्र की ई मेल आईडी पर प्रवेश पत्र के साथ उक्त पीएमटी-2011 के आवेदन पत्र की स्कैन प्रति भेजी. इसके पश्चात, सभी आरोपी, परीक्षा से पूर्व डॉक्टर के घर पर दो बार गए और 6.5 लाख रुपये. की शेष राशि ले ली. यह भी आरोप है कि वादे के अनुसार आरोपी एमबीबीएस पाठ्यक्रम में डॉक्टर के पुत्र का प्रवेश नहीं करा पाए और उनसे ली गई धनराशि को भी नहीं वापस किया.


सीबीआई के द्वारा आगे की गई जांच के दौरान, यह सिद्ध हुआ कि आरोपी की लिखावट, उम्मीदवार के पीएमटी आवेदन पत्र पर मौजूद लिखावट मिलान करती है. आरोपी का ई मेल खाता सत्यापित किया गया और पाया गया कि आरोपियों ने ई मेल का प्रयोग किया. यह पाया गया कि प्रबन्ध कोटे के तहत सीट, केवल एपीडीएमसी (APDMC) द्वारा आयोजित डीएमएटी (DMAT) परीक्षा के माध्यम से उपलब्ध होती थी न कि पीएमटी परीक्षा के माध्यम से. यह भी पाया गया कि निजी चिकित्सा संस्थानों के लिए सरकारी कोटा के साथ ही साथ प्रबन्ध कोटे की वार्षिक शुल्क एक समान होती है. सीबीआई ने इस मामले में 29 जून 2015 को आरोपपत्र कोर्ट के सामने पेश किया था. अभियुक्तों में से एक आरोपी सेतु राज अदालत के समक्ष उपस्थित नही हुआ और उसके विरुद्ध सजा नहीं सुनाई जा सकी. उसके विरुद्ध गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया है.


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