नई दिल्ली: शिरोमणि अकाली दल, डीएमके, एनसीपी, टीएमसी समेत 10 विपक्षी पार्टियों के 15 सांसदों गुरुवार सुबह गाजीपुर बॉर्डर गए थे. लेकिन पुलिस ने उन्हें बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने नहीं दिया. इसके बाद इन दस पार्टियों के सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा है कि गाजीपुर बॉर्डर पर हालात भारत-पाकिस्तान सीमा जैसे हैं और किसानों की स्थिति जेल के कैदियों जैसी है.


गाजीपुर बॉर्डर के दौरे का समन्वय करने वाली शिअद की सांसद हरसिमरत कौर बादल के मुताबिक, नेताओं को बैरिकेड पार करने और प्रदर्शन स्थल जाने की इजाजत नहीं दी गई. बादल के अलावा, एनसीपी की सुप्रिया सुले, डीएसके की कोनिमोई और तिरूची शिवा, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे. उनके साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस, आरएसपी और आईयूएमएल के सांसद भी थे.


"किसानों की स्थिति जेल के कैदियों जैसी"
लोकसभा की कार्यवाही के दिनभर के लिए स्थगित होने के बाद सुले और रॉय समेत विपक्षी सांसद बिरला से मिले और उन्हें एक पत्र सौंपा, जिसमें दावा किया गया है कि पुलिस ने उन्हें प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने की इजाजत नहीं दी. उन्होंने पत्र में कहा, "दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर हमने जो देखा है, वह भारत-पाकिस्तान की सीमा जैसा है. किसानों की स्थिति जेल के कैदियों जैसी है." उन्होंने पूछा है कि क्या वे 'पुलिसिया देश' में रह रहे हैं. चुने हुए नुमाइंदे होने के बावजूद उन्हें किसानों के प्रतिनिधियों से मिलने नहीं दिया गया.


"किसानों के साथ 'दुश्मनों' जैसा बर्ताव"
वहीं संसद में चर्चा के दौरान कई विपक्षी पार्टियों ने सरकार से तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने और इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाना की अपील की. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि किसानों के साथ 'दुश्मनों' जैसा बर्ताव नहीं किया जाए.


दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर (बॉर्डर) पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है, जहां हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और केंद्र से नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. दिल्ली की तीन सीमाओं पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.


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