नई दिल्ली: संसद में आने वाले समय में सांसदों को सब्सिडाइज्ड रेट पर खाना मिलना बंद हो सकता है. मोदी सरकार संसद की कैंटीन में मिलने वाले भोजन पर सब्सिडी खत्म करने वाली है. इस संबंध में लोकसभा में स्पीकर के प्रस्ताव पर सभी सांसदों ने आज सहमति जताई. इस फैसले के लागू हो जाने के बाद सरकार को 17 करोड़ रुपये के बचत होने की बात की जा रही है. हालांकि, इस बचत में सिर्फ खाने पर सब्सिडी के पैसे शामिल नहीं हैं. इसमें स्टॉफ की सैलरी, किचन का ख़र्च, सामान को लाने का खर्च आदि भी शामिल है. सिर्फ खाने पर सब्सिडी की बात करें तो इससे सरकार को 70 लाख रुपये सालाना की बचत होगी.


मोदी सरकार के इस फैसले के लागू होने में अभी समय है. इस संबंध में लोकसभा सचिवालय और संसद की फूड कमिटी को अंतिम फ़ैसला करना है. बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार का यह फैसला संसद के अगले सत्र से ही लागू हो पाएगा.


संसद में अभी वर्तमान सांसदों के अलावा पूर्व सांसदों को भी सस्ते रेट पर खाना मिलता है. वहीं, संसद के अधिकारियों के अलावा जो लोग यहां विजिटर के तौर पर आते हैं उन्हें भी सस्ते रेट पर खाना मिलता है. लेकिन आने वाले समय में यह बंद हो जाएगा.


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अभी सांसदों को यहां के कैंटीन में 5 रुपये में कॉफी, 50 रुपये में चिकन डिश और 35 रुपये में वेज थाली मिलता है. इसके साथ ही यहां 6 रुपये में बटर ब्रेड, 2 रुपये में रोटी, 60 रुपये में चिकन तंदूरी, 65 रुपये में बिरयानी और 40 रुपये में मछली मिलता है. अगर यहां सब्सिडी खत्म हो जाती है तो इन सभी डिश के दाम बढ़ जाएंगे.


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बता दें कि संसद में सस्ते खाने का मामला साल 2015 में सबसे पहले चर्चाओं में आया था. संसद की कैंटीन में मिलने वाले भोजन पर अस्सी प्रतिशत तक की छूट दी जाती है. लेकिन बीते कुछ सालों से विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस छूट को लेकर सवाल उठाए थे. माना जा रहा है कि इसके चलते ही है यह कदम उठाया जा रहा है.


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