(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
रोज हजारों बिल्लियों को खाना खिलाते हैं डेरियस, महीने में लाखों रुपये खर्च कर करते हैं यह सेवा
बिल्लियों को खाना सही समय पर पहुंच सके इसके लिए डारियस ने कुछ लोगों को नौकरी पर भी रखा है. ये लोग खाने से भरी गाड़ी लेकर निकलते हैं और मुंबई के तमाम इलाकों में जाकर बिल्लियों को खाना खिलाते हैं.
मुंबई: लॉकडाउन के दौरान मुंबई में मानवता के ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले जब लोग भूखे लोगों की मदद करते नजर आए. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो उन पशुओं का ख्याल रख रहे हैं जो बोल नहीं सकते लेकिन जिन्हें खाने की जरूरत है.
मुंबई में रहने वाले ऐसे ही एक शख्स हैं मिस्टर डारियस. वह पेशे से एक बिजनेसमैन हैं. उनके परिवार में पहले से ही पशु प्रेमी थे लेकिन डारियस को धीरे धीरे पशुओं से ऐसा प्यार हुआ कि अपनी कमाई का लाखों रुपये बिल्लियों की सेवा में लगाने लगे.
2 हजार बिल्लियों को रोज खिलाते हैं खाना
डारियस करीब 2 हज़ार बिल्लियों को रोज खाना खिलाते हैं. वह खाने की क्वालिटी से कोई समझौता नही करते हैं. बिल्लियों को वही डिब्बाबंद खाना दिया जाता है जो बाजार में बिल्लियों के लिए मिलता है. बिल्लियों के स्थान पर खाना सही समय पर पहुंच सके इसके लिए डारियस ने कुछ लोगों को नौकरी पर भी रखा है. ये लोग खाने से भरी गाड़ी लेकर निकलते हैं और मुंबई के तमाम इलाकों में जाकर बिल्लियों को खाना खिलाते हैं. उनका ये काम देर रात तक चलता रहता है.
डारिअस से जब एबीपी न्यूज ने यह जानना चाहा की बिल्लियों के इस सेवा काम में उनका रोज का कितना खर्च हो जाता है तो वह मुस्कुराते हुए बताया कि लाख रुपए से ज्यादा रोज का खर्च है लेकिन ईश्वर उन्हें इतना देता भी है इसलिए वह इन पशुओं की सेवा में लगे हुए हैं.
डारियस की बेटी भी करती है उनकी मदद
डारियस के इस काम में मदद करती है उनकी बेटी मिसेस पॉल. उनके मुताबिक आज मुंबई के तमाम इलाको में जहां भी किसी बिल्ली को अगर कोई तकलीफ होती है तो लोग हमें फ़ोन करते हैं और हम पूरी कोशिश करते हैं कि पीड़ित बिल्ली की मदद कर सकें.
मिसेस पॉल बताती हैं की लॉकडाउन के दौरान जब कहीं कोई सामान नहीं मिलता था तो उनके घर पर ही दिनभर बिल्लियों के लिए खाना बनाया जाता था और उन्हें समय से पहुंचाया जाता था. वह लोगों से गुजारिश करती हैं की वे अपने आसपास रहने वाले पशुओ पर ध्यान दें और अगर वे भूखे-प्यासे हैं तो उन्हें खाना-पानी जरूर दें क्योंकि पुश बोल नहीं सकते वे बता नहीं सकते. इस संकट की घड़ी में हमें ही उनका भी ख्याल रखना है.
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