MS Swaminathan Profile: हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का आज गुरुवार (28 सितंबर) को निधन हो गया. वो 98 साल के थे. उन्होंने चेन्नई में अंतिम सांस ली. महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन कई दिनों से बढ़ती उम्र की वजह से परेशानियों का सामना कर रहे थे. एग्रीकल्चर फील्ड में सराहनीय काम करने के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण अवॉर्ड से नवाजा था. आइए जानते हैं उनके बारे में.


एमएस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को हुआ था. उन्हें भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप में भी जाना जाता है. डॉ. स्वामीनाथन ने तिरुवनंतपुरम के महाराजा कॉलेज से जूलॉजी और कोयंबटूर कृषि महाविद्यालय से कृषि विज्ञान में बीएससी की डिग्री हासिल की. उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ) की स्थापना साल 1988 में की. जिसके वो संस्थापक अध्यक्ष, एमेरिटस अध्यक्ष और मुख्य संरक्षक थे.


इन संस्थानों में दी सेवाएं


इसके बाद उन्होंने साल 1949 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) से कृषि विज्ञान (आनुवांशिकी और पादप प्रजनन में विशेषज्ञता) में एमएससी और साल 1952 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, यूके से पीएचडी की. साल 1954 में वो आईएआरआई नई दिल्ली के संकाय में शामिल हो गए. इसके बाद वो साल 1961 से लेकर 1972 तक आईएआईआई के निदेशक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक के पद पर रहे.


साल 1972 से लेकर 1979 तक वो कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, भारत सरकार के सचिव पद पर रहे. साल 1979 से 1980 तक उन्होंने कृषि मंत्रालय में प्रधान सचिव के रूप में सेवाएं दीं. साल 1980 से 1982 तक वो योजना आयोग में विज्ञान और कृषि के कार्यवाहक उपाध्यक्ष और सदस्य के रूप में कार्यरत रहे. इसके बाद वो साल 1982 से लेकर 1988 तक फिलीपींस में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में महानिदेशक के पद पर रहे.


इतने अवॉर्ड मिले


इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ वीमेन एंड डेवलपमेंट ने उन्हें कृषि में महिलाओं के ज्ञान, कौशल और तकनीकी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान और कृषि और ग्रामीण विकास में लैंगिक विचारों को मुख्यधारा में लाने में उनकी अग्रणी भूमिका के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया.


इसके अलावा भी डॉ. स्वामीनाथन को कई पुरस्कार और अवॉर्ड मिले हैं, जिनमें जैविक विज्ञान में उनके योगदान के लिए एस.एस. भटनागर पुरस्कार (1961), 1971 में सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार, 1987 में पहला विश्व खाद्य पुरस्कार, शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार, फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट फोर फ्रीडम मेडल और 2000 में यूनेस्को का महात्मा गांधी पुरस्कार और 2007 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं.


उन्हें दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से 81 डॉक्टरेट उपाधियां मिली हुई हैं. वह 2007-13 की अवधि के लिए भारतीय संसद (राज्य सभा) के सदस्य थे. 


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