Mughal Gardens Now Amrit Udyan: भारत में मुगल राजवंश की स्‍थापना करने वाले बाबर को बाग बहुत पसंद थे. बाबरनामा में बाबर ने लिखा- मुझे पर्सियन स्‍टाइल के चारबाग बेहद पसंद हैं. मतलब ऐसे बाग, जिनमें चार अलग-अलग सेक्‍शन होते हैं. मुगलों ने हिंदुस्‍तान की धरती पर जहां-जहां राज किया, वहां ऐसे बाग आज भी देखने को मिल जाते हैं. मुगलों के बनवाए इन बागों को लोग मुगल गार्डन के नाम से जानते हैं, लेकिन कितना अजीब संयोग है कि जो मुगल गार्डन देशभर में सबसे ज्‍यादा मशहूर हुआ उसे मुगलों ने नहीं बनवाया! इसे अंग्रेजों ने बनवाया था और साल 2023 के पहले महीने में मोदी सरकार ने इसका नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया है. नाम को लेकर पॉलिटिक्‍स से इतर हम बात करेंगे मुगल गार्ड के इतिहास की. 


किस्‍सा शुरू होता है वर्ष 1911 से जब अंग्रेजों ने राजधानी को कोलकाता से दिल्‍ली शिफ्ट किया. दिल्‍ली में वायसराय हाउस बनाने के लिए रायसीना हिल्‍स को काटा गया. वायसराय हाउस में एक सुंदर बगीचा भी बनाया गया, लेकिन लेडी हार्डिंग को यह बाग पसंद नहीं आया. मशहूर अंग्रेज आर्किटेक्‍ट एडविन लुटियंस को इसकी जिम्‍मेदारी मिली. लुटियंस को मालूम था कि मुगल बड़े शानदार बाग बनाया करते थे. लुटियंस ने कश्‍मीर के मुगल गार्डन और ताज महल के बाग से प्रभावित होकर पर्सियन और पश्चिमी सभ्‍यता के मेल से मुगल गार्डन का डिजाइन तैयार किया. लुटियंस ने 1917 में मुगल गार्डन के नक्‍शे को अंतिम स्‍वरूप प्रदान किया. इसे बनाने में लंबा वक्‍त लगा और 1928 में जाकर यहां प्‍लांटेशन का कार्य शुरू हो सका. 


लेडी हार्डिंग का ख्‍वाब


ऐसा माना जाता है कि लेडी हार्डिंग विलियर्स स्‍टुअर्ट की किताब गार्डनंस ऑफ ग्रेट मुगल्‍स नाम की किताब से बेहद प्रभावित थीं. यही वजह रही कि उन्‍होंने लुटियंस से मुगलों जैसा गार्डन बनाने को कहा. हॉटीकल्‍चर के डायरेक्‍टर विलयम मुस्‍टो ने मुगल गार्डन में प्‍लांटेशन का काम किया. वह गुलाब की अलग-अलग किस्‍मों को विकसित करने में माहिर माने जाते थे. इसके बाद कई और फूलों की किस्‍मों मुगल गार्डन में लाई गईं.       


इसे स्‍वर्ग कहा जाने लगा


मुगल गार्डन जब बनकर तैयार हुआ तो इसे स्‍वर्ग कहा जाने लगा. इसमें कलकत्‍ता से घास लाकर लगाई गई. यहां गुलाब की 159 वैरायटी देखने को मिल जाती हैं. भारत की आजादी के बाद वायसराय हाउस राष्‍ट्रपति बना. आजादी के बाद डॉक्‍टर जाकिर हुसैन ऐसे राष्‍ट्रपति रहे, जिन्‍होंने मुगल गार्डन में फूलों की अलग अलग किस्‍मों में काफी इजाफ कराया. हालांकि, सबसे रोचक किस्‍सा सी राजगोपालाचारी से जुड़ा है, जो भारत के पहले गवर्नर जनरल बने थे. उन्‍होंने मुगल गार्डन में गेहूं की खेती करवा दी थी. बाद में कई सालों तक यह दस्‍तूर कायम रहा. 


मुगल गार्डन में गुलाब के फूलों की अलग-अलग किस्‍मों के नाम की भी एक परंपरा रही है. यहां कई गुलाब की किस्‍मों के नाम मशहूर हस्तियों के नाम पर रखे गए हैं. जैसे- मदर टेरेसा, अब्राहम लिंकन, जॉन एफ कैनेडी, क्‍वीन एलिजाबेथ आदि.


मुगल गार्डन में क्या है खास



  • मुगल गार्डन/अमृत उद्यान में सबसे ज्‍यादा फूल फरवरी और मार्च में खिलते हैं. यहां गुलाबों के नाम-  एडोरा, मृणालिनी, एफिल टावर और ताज महल के नाम पर भी रखे गए हैं.    

  • मुगल गार्डन/अमृत उद्यान में नीदरलैंड्स के ट्यूलिप लगे हैं, जबकि ब्राज़ील के ऑर्किड, जापान के चेरी ब्लॉसम और तो और यहां पर कमल भी हैं, लेकिन भारत के नहीं बल्कि चीन के. यहां चाइनीज लोट्स लगे हैं. 

  • राष्‍ट्रपति भवन के बगीचे में मौसमी फूलों की 70 वैरायटी लगी हुई हैं. यहां बोगनविलिया की 60 किस्‍में भी मौजूद हैं. मुगल गार्डन में मौलश्री, अमलतास और पारिजात जैसे पेड़ भी लगे हुए हैं. 

  • पूर्व राष्‍ट्रपति आर. वेंकटरमण दक्षिण भारत से केले की कई वैरायटी लेकर आए और उन्‍हें मुगल गार्डन में लगवाया.  

  • पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में यहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन किया, ताकि स्‍वच्‍छ जल पौधों की सिंचाई का काम हो सके. 

  • पूर्व राष्‍ट्रपति एपीजे अब्‍दुल कलाम ने मुगल गार्डन में दो झोपड़ी बनवाई- थिंकिंग हट और अमर चोपड़ी.       

  • मुगल गार्डन को बनाने वाले लुटियंस की पत्‍नी एमिली बुलवर लिटन ने इसकी तारीफ में लिखा- "इतने सारे फूलों को बेहद खूबसूरत तरीके से लगाया गया, मानों खुशबूदार रंगोली बनाई गई हो. गोलाकार बागीचा जिसकी खूबसूरती का कोई सानी नहीं है. इसकी सुंदरता शब्‍दों से परे है."

  • वाकई मुगल गार्डन/अमृत उद्यान एक स्‍वर्ग है, यह हर साल 31 जनवरी को आम जनता के लिए खुलता है.

  • Photos: रौनक वही पुरानी लेकिन टाइटल नया, राष्ट्रपति ने बदला ऐतिहासिक मुगल गार्डन का नाम