Ashura History and Importance: इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, रमजान (Ramadan) के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना मुहर्रम (Muharram) का माना जाता है. इस महीने में 10वें दिन आशूरा (Ashura) की तारीख होती है, जिसका इस्लाम (Islam) धर्म में विशेष महत्व है. मुहर्रम का महीना 31 जुलाई से शुरू हुआ था, इसलिए आज आशूरा की तारीख है. इसे यौम-ए-आशूरा भी कहा जाता है. इस्लाम में यह दिन मातम का दिन होता है.
आज से करीब 1400 साल पहले इराक के कर्बला शहर में पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और यजीद के सेना के बीच जंग छिड़ गई थी. हजरात इमाम हुसैन इस्लाम की रक्षा के लिए लड़ रहे थे. इस जंग में हजरत इमाम हुसैन ने परिवार और 72 साथियों के साथ शहादत दी थी. हजरत इमाम हुसैन की शहादत का दिन मुहर्रम की 10वीं तारीख यानी आशूरा थी. इसलिए उनकी याद में मुस्लिम समुदाय के लोग आशूरा को मातम मनाते हैं.
इसलिए निकाला जाता है ताजियों के साथ मातमी जुलूस
आशूरा को मुस्लिम समुदाय की ओर से ताजियों के साथ मातमी जुलूस निकाला जाता है. ताजियों को कर्बला की लड़ाई में शहीद हुए लोगों का प्रतीक भी माना जाता है. हजरत इमाम हुसैन का मकबरा इराक में है. शिया समुदाय के लोग मकबरा की तरह का ताजिया बनाकर जुलूस निकालते हैं और मातम मनाते हुए कहते जाते हैं, ''या हुसैन, हम न हुए.'' इसका मतलब है कि ''हजरत इमान हुसैन हम सब दुखी हैं, कर्बला की लड़ाई में हम नहीं थे, नहीं तो इस्लाम की रक्षा के लिए कुर्बानी देते.''
इस बार भारत में आशूरा आज है तो सऊदी अरब, ओमान, कतर, यूएई, इराक, बहरीन और अन्य अरब देशों में मुहर्रम 30 जुलाई को शुरू होने के कारण यह वहां कल यानी आठ अगस्त को था.
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