मुंबई: देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास मिली विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियों को लेकर अब तक मुंबई क्राइम ब्रांच के हाथ किसी प्रकार का कोई सुराग नहीं लगा है. आपको बता दें, ऐसा ही साल 2013 में भी हुआ था जब मुकेश अंबानी के मरीन ड्राइव स्थित मेकर चेम्बर के कार्यालय में किसी ने कथित तौर पर इंडियन मुजाहिद्दीन की तरफ से एक धमकी भरा खत भेज दिया था.


सूत्रों की मानें तो उस खत में अंबानी को धमकी देते ही कहा गया था कि, “हम तुम्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं.'' उस खत में एक मांग भी लिखी थी कि, “अगर इंडियन मुजाहिद्दीन के ऑपरेटिव दानिश को रिलीज नहीं किया गया तो वे लोग अंबानी और उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं.''


इसके बाद मुंबई पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी और कई लोगों के स्टेटमेंट भी रिकॉर्ड किए पर करीब डेढ़ महीने की जांच के बाद भी जब मुंबई पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगा. इसके बाद मुंबई पुलिस ने इस मामले की जांच को वहीं पर रोक दिया. वहीं, तब से लेकर आज तक पुलिस यह पता लगाने में असमर्थ रही है कि आखिर अंबानी के ऑफिस में वह खत किसने भेजा था.


जांच के नए तरीके का किया था इस्तेमाल


क्राइम ब्रांच के सूत्रों की माने तो जिस समय यह घटना हुई थी उस समय फ़ॉरेंसिक विभाग के पास एक नई तकनीक आई थी जिसका इस्तेमाल कर किसी भी पेपर पर से फिंगर प्रिंट्स को निकाला जा सकता था.


इस खत कांड के दौरान इस तकनीक का पहली बार इस्तेमाल हुआ. पुलिस ने यह पता लगाने की कोशिश की उस खत को कितने लोगों ने हाथ लगाया था. सबके फिंगर प्रिंट्स निकाले गए थे. एक अधिकारी ने बताया कि उस समय किसी को भी इस तकनीक के बारे में पता नही था जो जाहिर सी बात है की उस खत को डिलीवर करने वाले ने हाथों में दस्ताने नहीं पहने होंगे.


हमे उस खत पर से कई फिंगर प्रिंट्स मिले जिसे हमने कई संदिग्धों, इंडियन मिजाहिद्दीन के हैंडल्स और हमारे कैदियों के रिकॉर्ड से मैच किये पर किसी से वह मैच नहीं हुआ. पुलिस ने उस समय भी टेक्निकल और ह्यूमन इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया था पर कुछ हाथ नहीं लगा था.


आपको बता दें कि उस मामले में एफआईआर नहीं हुई थी पुलिस ने सिर्फ इन्क्वारी की थी और ऐसा था कि अगर कुछ सीरियस थ्रेट जैसा कुछ मिलता है तो संदिग्ध के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार करेंगे. उस खत की जांच आज भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है.


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