Mukhtar Abbas Naqvi on  AIMPLB: गुजारा भत्ता को लेकर हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि एक मुस्लिम महिला आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर AIMPLB की दिल्ली में बैठक हुई थी. इस बैठक के बाद ये फैसला हुआ था कि वो सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को चैलेंज करेंगे. 


दिल्ली में हुई AIMPLB की मीटिंग में लिए गए फैसले पर मुख्तार अब्बास नकवी ने निशाना साधा है. उन्होंने कहा, 'सामाजिक सुधार पर सांप्रदायिक वार करने की कोशिश है.'


मुख्तार अब्बास नकवी ने साधा निशाना 


दिल्ली में हुई AIMPLB की मीटिंग में लिए गए फैसले पर मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कुछ लोग खुद को ठेकेदार समझते हैं. अगर किसी महिला को उसका हक मिलना है तो उसे पर राजनीति ठीक नहीं है. किसी को इजाजत नहीं दी जा सकती कि वह संविधान और शेयर के बीच में टकराव दिखाएं.


उन्होंने आगे कहा, 'सामाजिक सुधार पर सांप्रदायिक वार करने की कोशिश है. संविधान में समानता की बात है. किसी एक मतलब की बात नहीं है. UCC आज ही तो कल देश बना होगा ही. इसमें किसी भी सूरत में धार्मिक हमले की कोई बात नहीं है. संविधान के हिसाब से ही देश में एक कानून लागू होगा.


AIMPLB ने दिया ये तर्क 


AIMPLB ने कहा, शरीयत में महिला को इद्दत पूरी होने तक ही गुज़ारा भत्ता देने का हुक्म दिया है. इसके बाद महिला शादी कर सकती है. अगर महिला बच्चों को अपने पास रखती है तो पति पर उसका खर्चा देने की जिम्मेदारी होती है. पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी कहा, शरीयत के अनुसार, भारतीय मुसलमान अपनी बेटियों को जायदाद में हिस्सेदारी दें. कानून में जो कहा गया है, अगर उसमे भी तलाकशुदा महिला को गुजर बसर करने में दिक्कत हो रही है तो उसकी जिम्मेदारी अलग अलग राज्यों के वक्फ बोर्ड उठाएं.