Mukhtar Ansari Death: सेना की LMG खरीदने के लिए जब मुख्तार अंसारी ने की थी 1 करोड़ की डील, मुलायम राज में आ गया था भूचाल
मुख्तार अंसारी ने विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से पहले सेना से चुराई गई एलएमजी (लाइट मशीन गन) खरीदने की योजना बनाई थी. इसके लिए 1 करोड़ रुपये की डील की थी. इस केस को लेकर मुख्तार पर पोटा लगाया गया.
माफिया और बाहुबली मुख्तार अंसारी की गुरुवार (28 मार्च 2024) को मौत हो गई. मुख्तार बांदा जेल में बंद था, वहां उसे दिल का दौड़ा पड़ा. इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज लाया गया. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. मुख्तार पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी, गुंडा एक्ट, आर्म्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट जैसे 61 से ज्यादा मामले दर्ज थे. इनमें कई में उसे सजा भी हो गई थी. मुख्तार पर एक ऐसा भी केस था, जिसके चलते तत्कालीन मुलायम सरकार तक हिल गई थी. यहां तक कि मुख्तार के रसूख के चलते सरकार को केस तक रद्द करना पड़ा और जिस अधिकारी ने एलएमजी सौदे को लेकर पोटा लगाया, उसे पुलिस महकमा छोड़ना पड़ा.
दरअसल, ये बात 2004 की है. जब शैलेंद्र सिंह वाराणसी में एसटीएफ चीफ थे. उन्हें वहां कृष्णानंद राय और मुख्तार के बीच गैंगवार पर नजर रखने के लिए भेजा गया था. शैलेंद्र सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वे फोन टैपिंग कर रहे थे. एक दिन उन्होंने सुना कि मुख्तार किसी से फोन पर लाइट मशीन गन खरीदने की बात कह रहा है. वह फोन पर कह रहा था कि उसे यह किसी भी कीमत में चाहिए. शैलेंद्र सिंह के मुताबिक, इस एलएमजी का इस्तेमाल वह कृष्णानंद राय की हत्या में करना चाहता था.
एसटीएफ ने बरामद की एलएमजी
शैलेंद्र सिंह ने बताया कि मुख्तार सेना के भगोड़े जवान द्वारा चुराई गई लाइट मशीन गन खरीदना चाहता था. इसके लिए 1 करोड़ की डील भी हुई थी. ये मशीन गन राष्ट्रीय राइफल से चुराई गई थी. इसके बाद एसटीएफ ने इस मशीन गन को बरामद कर लिया. पुलिस ने आर्म्स एक्ट के साथ मुख्तार पर पोटा लगा दिया. लेकिन उस वक्त मुख्तार बाहुबली नेता था, उसने मायावती की पार्टी को तोड़कर सपा की सरकार बनवाई थी,. ऐसे में मुलायम सिंह सरकार ने इस केस को रद्द करा दिया.
शैलेंद्र सिंह के मुताबिक, इस केस के चलते तत्कालीन मुलायम सरकार ने आईजी बनारस, डीआईजी, एसपी समेत तमाम बडे़ अधिकारियों के तबादले कर दिए. वाराणसी में मौजूद एसटीएफ यूनिट को भी लखनऊ बुला लिया गया. शैलेंद्र सिंह ने बताया कि उनके ऊपर भी केस खत्म करने का दबाव बनाया जाने लगा. इसके बाद उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा. शैलेंद्र सिंह के मुताबिक, मुलायम सिंह उनसे काफी नाराज थे. आखिर में सिस्टम से परेशान होकर शैलेंद्र सिंह ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उनके खिलाफ कई फर्जी केस दर्ज किए गए और जांच बैठाई गई. हालांकि, योगी सरकार आने के बाद शैलेंद्र सिंह पर दर्ज सभी केस 2021 में वापस ले लिए गए.