Mukhtar Ansari Crime History: उत्तर प्रदेश का एक और कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी मौत की नींद सो चुका है. गुरुवार (28 मार्च) रात अस्पताल में हार्ट अटैक के बाद उसकी मौत हो चुकी है. इसके बाद उसके अपराधों की कुंडली फिजा में छाई हुई है, जिसकी फेहरिस्त काफी लंबी है. मुख्तार अंसारी पर 65 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. वह यूं ही कुख्यात माफिया नहीं बना बल्कि अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बनने के सारे हुनर उसमें थे.
वह इस कदर का अचूक निशानेबाज था कि एक दीवार की सुराख से दूसरे दीवार की सुराख के पार गोली चलाकर एक और दबंग को ढेर कर दिया था, जिसके बाद पूर्वांचल में उसके अपराधों की तूती बोलने लगी थी. मारे गए शख्स का नाम रंजीत सिंह था और गोली चलाने वाला था मुख्तार अंसारी. रंजीत से उसकी व्यक्तिगत दुश्मनी भी नहीं थी और परिचय भी नहीं उसकी हत्या उसने अपने राजनीतिक गुरु कहे जाने वाले साधु और मकनू सिंह के कहने पर की थी. दोनों ने गुरु दक्षिणा में रंजीत सिंह की लाश मांगी थी और गुरुओं ने जब पहली बार कुछ मांगा तो मुख्तार इनकार नहीं कर सका.
पिता के अपमान के बाद बदले की आग में सुलग रहा था मुख्तार
अमूमन सेना में बहाली और वतन परस्ती के लिए जाने जाने वाले उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में मुख्तार अंसारी जैसे कई लोग थे जिन्होंने यहीं रहकर गुनाहों की अलग दुनिया बनाई, बसाई और तमाम हत्याकांड के जरिये अपराध की उस दुनिया को आबाद रखा. इस जिले का सैदपुर कोतवाली क्षेत्र के मुड़ियार गांव के ही रहने वाले थे साधु सिंह और मकनू सिंह. इन्होंने अपने चाचा रामपत सिंह और उनके तीन बेटों को बर्बर तरीके से मौत के घाट उतारकर अपराध की दुनिया में नाम कमाया था. 80 के दशक में मुख्तार अंसारी कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ इलाके में दबंगई की शुरुआत कर चुका था.
इसी दौर में मोहम्मदाबाद से उसके पिता नगर पंचायत के चेयरमैन थे. इलाके में एक और प्रभावशाली शख्स था सच्चिदानंद राय. किसी बात को लेकर सच्चिदानंद और मुख्तार के पिता के बीच विवाद हो गया. सच्चिदानंद ने मुख्तार के पिता को भरे बाजार काफी भला बुरा कहा. इस बात की खबर जब मुख्तार को लगी तो उसने सच्चिदानंद राय की हत्या का फैसला कर लिया, लेकिन मोहम्मदाबाद में राय बिरादरी प्रभावशाली थी इसलिए मुख्तार के लिए उनकी हत्या कर देना आसान नहीं था. उसने अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए साधु और मकनू सिंह से मदद मांगी. दोनों ने मुख्तार की पीठ पर हाथ रखा और सच्चिदानंद राय की हत्या हो गई. इसके बाद से मुख्तार अंसारी साधु और मकनू को आपराधिक गुरू मानने लगा और जीवन भर निभाया भी.
मुख्तार के गॉडफादर ने मांगी थी रंजीत सिंह की लाश
नए-नए अपराधी बने मुख्तार अंसारी के लिए अब वक्त आ गया था साधु और मकनू को गुरू दक्षिणा देने का. दोनों ने मुख्तार के सामने एक ऐसा प्रस्ताव रखा, जिसने पूरे पूर्वांचल में सबसे खौफनाक आपराधिक इतिहास की नींव तैयार कर दी. सैदपुर के पास मेदनीपुर के छत्रपाल सिंह और रंजीत सिंह दो भाई थे और दोनों दबंग थे, जिनसे साधु और मकनू को चुनौती मिल रही थी. दोनों वो सैदपुर समेत गाजीपुर में सबसे बड़े दबंग के तौर पर स्थापित होना चाह रहे थे. वर्चस्व की जंग में अब कुर्बानी का वक्त आ गया था. इसलिए साधु और मकनू ने एक दिन मुख्तार को बुलाया और उससे कहा कि रंजीत सिंह की हत्या कर दो. एक बार तो मुख्तार भी ये सुनकर हिल गया, लेकिन आपराधिक गुरुओं ने पहली बार कुछ मांगा था, लिहाजा मुख्तार इनकार नहीं कर सका.
मुख्तार ने फिल्मों से भी खौफनाक तरीके से की रंजीत सिंह की हत्या
रंजीत सिंह की हत्या के लिए मुख्तार ने जो तरीका अपनाया, वो आपने फिल्मों से भी खतरनाक था. मुख्तार अंसारी ने रंजीत सिंह के घर के ठीक सामने रहने वाले रामू मल्लाह से दोस्ती गांठी. वही रामू मल्लाह जो बाद में मुख्तार का शार्प शूटर बन गया. रामू मल्लाह के घर की बाहरी दीवार पर मुख्तार ने अंदर से बाहर तक एक सुराख किया. ठीक ऐसा ही सुराख रंजीत के घर में करवाया. अब वो रामू मल्लाह के घर वाले सुराख से सीधे रंजीत के आंगन में देख सकता था.
एक दिन रंजीत अपने आंगन में घूम रहा था. मुख्तार ने मौका देखा, शिकार पर निशाना साधा और इस कदर अचूक निशानेबाज था कि उसने एक गोली चलाई और रंजीत सिंह ढेर हो गया. जल्द ही इलाके में ये खबर फैल गई कि रंजीत की हत्या किसने की है और किसने कहने पर की. यानी अब मुख्तार और उसके गुरुओं साधु, मकनू का सिक्का गाजीपुर से वाराणसी तक जमने लगा. गिरोह का नाम था साधु मकनू गिरोह और मुख्तार अंसारी उसका गुर्गा था. बाद में साधु और मकनू की भी हत्या हो गई, जिसके बाद इसी गिरोह का सरकना मुख्तार अंसारी बना जो उसके अपराध की पहली पायदान थी.
ये भी पढ़ें:Mukhtar Ansari Death: मुख्तार अंसारी की मौत पर ओवैसी बोले- 'गाजीपुर ने चहीते बेटे और भाई को खो दिया'