बाराबंकी: उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में सोमवार को जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी की वीडियो क्रांफ्रेंस के जरिए सुनवाई हुई. इस दौरान अंसारी ने नियमों का हवाला देते हुए अदालत से अनुरोध किया कि अन्य जेलों की भांति उसकी बैरक में भी टेलीविजन की सुविधा प्रदान की जाए. अंसारी ने इस मामले में राज्य सरकार पर उसके साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया.
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राकेश ने अंसारी को पांच जुलाई तक न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने का आदेश दिया है, अगली सुनवाई उसी दिन होगी. मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने बताया कि मुख्तार ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से यह भी अनुरोध किया कि उत्तर प्रदेश मेडिकल बोर्ड के जरिए उसके स्वास्थ्य जांच के बाद यह निर्देश दिए थे कि जेल में रहते हुए भी अंसारी की रोज फिजियोथैरेपी की जाए लेकिन बांदा जेल प्रशासन आज तक ऐसा नहीं करा रहा है. इससे भविष्य में अंसारी की स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं.
फर्जी पहचान पत्र के जरिए पंजीकरण
फर्जी दस्तावेजों के सहारे साल 2013 में एक एम्बुलेंस जिले के एआरटीओ कार्यालय से पंजीकृत कराई गई थी. पूर्वी उत्तर प्रदेश की मऊ सदर सीट से विधायक मुख्तार अंसारी से संबंधित एम्बुलेंस मामले पर सोमवार को सुनवाई हुई. जिले के परिवहन विभाग में जब इस एम्बुलेंस की पड़ताल शुरू की गई तो पता चला कि इसका नवीनीकरण ही नहीं कराया गया था. कागजात खंगाले गए तो एम्बुलेंस अलका राय की फर्जी पहचान पत्र के जरिए पंजीकृत पाई गई.
इस मामले में डॉ. अलका राय, डॉ. शेषनाथ राय, राजनाथ यादव, मुजाहिद समेत कई के खिलाफ नगर कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत कराया गया था. बाद में छानबीन में मुख्तार की संलिप्तता पाए जाने पर मुकदमें में धाराएं बढ़ाते हुए अंसारी का भी नाम शामिल किया गया था. इस मामले में डॉ. अलका राय, शेषनाथ राय और राजनाथ यादव जेल में हैं. पंजाब की रोपड़ जेल से लाए जाने के बाद अंसारी बांदा की जेल में विभिन्न आपराधिक मामलों में बंद है.
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