Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का वह नाम है, जिसका नाम लेने से बड़े-बड़े नेता और माफिया कांप जाते थे. 90 के दशक से लेकर साल 2017 तक उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी. चाहे वह मायावती की सरकार रही हो या मुलायम की मुख्तार पर कोई फर्क नहीं पड़ा. मऊ की सदर सीट से मुख्तार अंसारी लगातार 5 बार विधायक रह चुका है. साल 2022 में छठवीं बार उसका बेटा विधायक बना. बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और मऊ दंगा समेत करीब 61 मुकदमे मुख्तार अंसारी पर दर्ज हैं, इनमें से कई में मुख्तार को सजा भी मिल चुकी थी.


मुख्तार अंसारी का जन्म तो गाजीपुर में हुआ लेकिन उसकी कर्मस्थली मऊ रही. पहली बार साल 1996 में बसपा की टिकट पर मुख्तार मऊ की सदर सीट से विधायक बना और फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मुख्तार ने मऊ को अपना गढ़ बनाया और लगातार पांच बार साल 2022 तक विधायक रहा. 


मोदी लहर में भी जीता मुख्तार
साल 2002 में बसपा से टिकट न मिलने पर मुख्तार ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद मुख्तार ने कौमी एकता दल के नाम से खुद की पार्टी बनाई और फिर दो बार विधायक बना. साल 2017 में मुख्तार ने अपनी पार्टी का बसपा में विलय कर लिया और बसपा से चुनाव लड़ा. इस दौरान मोदी की लहर में भी मुख्तार ने जीत हासिल की. साल 2022 में मुख्तार ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया, जिसके बाद मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी मऊ की सदर सीट से विधायक बना.


उत्तर प्रदेश के करीब दो दर्जन लोकसभा सीट और 120 विधानसभा सीटों पर मुख्तार का सीधा या आंशिक प्रभाव माना जाता है. एक दौर था जब वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर और मऊ में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी. मुख्तार गैंग का इन जिलों में इतना दबदबा रहा कि हर कोई इनके सामने वोट के लिए नतमस्तक हो गया. मायावती ने तो मुख्तार अंसारी को गरीबों का मसीहा तक कह दिया था. मुख्तार ऐसा डॉन था कि जेल उसके लिए घर था, जेल में रहकर ही मुख्तार राजनीति करता था, चुनाव जीतता था और अपने गैंग का संचालन भी जेल से ही करता था.


योगी सरकार में मुख्तार का रसूख हुआ ध्वस्त
जिस नाम की एक समय में तूती बोलती थी, आज उस नाम के साथ अपना नाम जोड़ने में लोग कतरा रहे हैं. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही इस कदर मुख्तार गैंग पर कार्रवाई हुई कि कोई सोच भी नहीं सकता था. जिस मुख्तार का नाम लेने पर ठेके खुल जाते थे, जिसका नाम लेकर अवैध वसूली की जाती थी आज सब बंद हो गया. 90 के दशक से शुरू हुआ मुख्तार रसूख 2017 तक ध्वस्त हो गया.


साल 2024 तक मुख्तार गैंग के लगभग सभी गुर्गों को जेल भेज दिया गया या फिर पुलिस मुठभेड़ में मारे गए. मुख्तार अंसारी की अब तक करीब 500 करोड़ की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है. 30 जून 1963 को गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में जन्मे मुख्तार अंसारी की हृदय गति रुकने से बांदा मेडिकल कॉलेज में 28 मार्च को मृत्यु हो गई.


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