Mukhtar Ansari Story: क्रिकेट टीम के कप्तान थे पिता, साधु सिंह के चक्कर में डॉन बन गया मुख्तार अंसारी
How Mukhtar Ansari Become Don: इन दिनों उत्तर प्रदेश राज्य खूब चर्चा में है. पहले माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या हो जाती है फिर उसके बाद एक और माफिया मुख्तार अंसारी को सजा हो जाती है.
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Mukhtar Ansari Don Story: उत्तर प्रदेश में माफियाओं पर सख्त योगी सरकार में एक और बाहुबली मुख्तार अंसारी पर नकेल कसी गई और उसे 15 साल पुराने मामले में दोषी करार देते हुए एमपी एमएलए कोर्ट ने जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया. उसको 10 साल की सजा और 5 लाख रुपये का जुर्माना जबकि उसके भाई अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा और 1 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है.
मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का डॉन कैसे बन गया इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. 80 के दशक में मुख्तार अंसारी साधु सिंह के चक्कर में आकर अपराध की दुनिया में कदम रखता है. ऐसा नहीं है कि वो किसी क्रिमनल बैकग्राउंड से रहा हो जिसकी वजह से उसने अपराध की दुनिया चुनी.
हैरान कर देने वाली बात ये है कि उसके पिता को क्रिकेट का बहुत शौक था और वे दिल्ली की सेंट स्टीफंस कॉलेज की क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे थे. यही नहीं, मुख्तार को भी क्रिकेट का बड़ा शौक रहा है.
मुख्तार का फैमिली बैकग्राउंड
मुख्तार अंसारी के दादा मुख्तार अहमद अंसारी महात्मा गांधी के करीबी और कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके थे. उसके नाना ब्रिग्रेडियर उस्मान सेना में रहे और साल 1947 की लड़ाई में शहीद हो गए और उनकी शहादत के लिए उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया.
पिता सुहान उल्लाह अंसारी स्थानीय राजनीति में सक्रिय रहे. वहीं, देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी एक रिश्ते में मुख्तार के चाचा लगते हैं. लेकिन उसकी कहानी में अपराध जुड़ गया और वो आज सलाखों के पीछे पहुंच गया.
अपराध की दुनिया का कैसे बना शहंशाह
दअसल 80 के दशके में मुख्तार अंसारी कॉलेज में पढ़ाई करने के साथ-साथ इलाके में दबंगई करना शुरू कर देता है. इसी दौर में उसके पिता मोहम्मदाबाद से नंगर पंचायत के चेयरमैन भी थे. इसी इलाके में एक और प्रभावशाली शख्स था सच्चिदानंद राय. किन्हीं वजहों से मुख्तार के पिता और सच्चिदानंद के बीच विवाद हो जाता है. इसी को लेकर मुख्तार सच्चिदानंद की हत्या करने की ठान लेता है. इसके बाद वो साधु सिंह से मदद मांगता है और वो इसके ऊपर हाथ रख देते हैं. लिहाजा सच्चिदानंद की हत्या करवा दी जाती है. इस काम को अंजाम देने में मदद करने के लिए मुख्तार साधु सिंह को अपना गुरु मान लेता है.
गुरुदक्षिणा में कर दी हत्या
मुख्तार के गुरु साधु सिंह ने गुरुदक्षिणा में उससे एक हत्या करने के लिए कहा. एहसान तले दबा मुख्तार इससे इनकार नहीं कर सका और रणजीत सिंह नाम के शख्स की गोली मारकर उसी घर में हत्या कर देता है. इसके बाद से मुख्तार और उसके गुरु साधु सिंह का सिक्का गाजीपुर से लेकर वाराणसी तक चलने लगता है और इस तरह से एक पढ़े लिखे परिवार का मुख्तार अंसारी आगे चलकर पूर्वांचल का डॉन बन जाता है.
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