Mulayam Singh Yadav Death: क्या आप जानते हैं कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के प्रधानमंत्री बनने के सपनों को मुलायम सिंह यादव ने तोड़ डाला था. बात 1999 की है. सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनना था. राष्ट्रपति के पास अपना क्लेम लेकर गईं थीं. उन्होंने 272 सीटों की मेजोरिटी भी गिना दी थी, लेकिन आखिरी मौके पर 32 सांसदों वाले मुलायम सिंह यादव ने हाथ पीछे खींच लिए. यूपीए (UPA) के पास सीटें कम हो गईं और सोनिया का सपना टूट गया. एक अखबार को दिए इंटरव्यू में सुब्रमण्यम स्वामी ने खुलासा किया था कि उस दौरान सोनिया मुलायम से बहुत नाराज हुईं और उनसे नफरत करने लगीं. 


दावा ये भी है कि सोनिया गांधी बदला भी लेना चाहती थीं. सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक 2007 में उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव का शासन था. उन पर करप्शन और मिस मैनेजमेंट के आरोप लग रहे थे और दिल्ली की गद्दी पर यूपीए का शासन था. सोनिया गांधी पावरफुल थीं और वो मुलायम सिंह के खिलाफ एक्शन लेना चाहती थीं, लेकिन यूपीए सरकार में कानून मंत्री रहे हंसराज भारद्वाज ने सोनिया गांधी को बदले की कार्रवाई ना करने की सलाह दी. ये खुलासा खुद हंसराज भारद्वाज ने ही किया था. 


लालू ने प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया


सोनिया के सपने को मुलायम ने तोड़ा, लेकिन मुलायम के प्रधानमंत्री बनने के ख्वाब के पर किसने कतरे. आप नाम सुनेंगे तो हैरान हो जाएंगे. वो थे लालू प्रसाद यादव. जो आज की तारीख में मुलायम परिवार के समधी हैं. 70 के दशक में मुलायम सिंह और लालू यादव (Lalu Yadav) दोनों जयप्रकाश नारायण के आंदोलन (JP Andolan) से निकलकर देश की सियासत में छा गए. दोनों ही खुद को राम मनोहर लोहिया का शागिर्द बताने में फक्र करते हैं, लेकिन दोनों की सियासत की ये समानता कभी भी उन्हें गहरा दोस्त नहीं बना सकी. एक वक्त ऐसा भी आया जब लालू यादव ने ही मुलायम सिंह की साइकिल पंचर कर दी. 


मुलायम के दिल में ये मलाल हमेशा रहा कि उन्हें लालू यादव ने प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया. बात 1996 की है. कांग्रेस की करारी हार हुई और बीजेपी की 161 सीटें आईं. वाजपेयी की सरकार 13 दिन में गिर गई और लालू और मुलायम पीएम की दौड़ में आगे हो गए. चारा घोटाले में नाम के कारण लालू का पत्ता कट गया. मुलायम का दामन पाक साफ था. लेफ्ट नेता हरकिशन सिंह सुरजीत नाम आगे बढ़ा रहे थे, लेकिन लालू विरोध में खड़े हो गए. जिसके बाद किसान नेता देवेगौड़ा को गठबंधन ने कमान सौंप दी. 


एक बार और लालू ने डाला अड़ंगा


दूसरी बार 1999 में लालू ने फिर मुलायम की साइकिल की हवा निकाल दी. सीताराम केसरी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस (Congress) ने 21 अप्रैल 1997 में देवेगौड़ा सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. हरकिशन सिंह सुरजीत ने एक बार फिर मुलायम का नाम आगे बढ़ाया था. 13 पार्टियों वाले संयुक्त मोर्चे में मुलायम के नाम पर सहमति बनने लगी थी, लेकिन शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और लालू ने फिर अड़ंगा लगाया और इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बन गए.


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