Mulayam Singh Yadav: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का सोमवार (10 अक्टूबर' 2022) लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. मुलायम सिंह ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली. मुलायम एक दिग्गज राजनेता की सूची में आते हैं. उन्होंने अपने जीवन काल में राजनीति क्षेत्र में कामयाबी की कई सीढ़ियां चढ़ी हैं. इसका गवाह उनकी विदाई समारोह में उमड़ा हुजूम बना है. मुलायम सिंह के अंतिम संस्कार में तमाम राजनेता भी शामिल होने जा रहे हैं. इनमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, कमलनाथ के नाम शामिल हैं.
मुलायम सिंह के राजनीतिक जीवनकाल को देखें तो कई ऐसी घटनाएं हैं जिसके बारे में आज भी चर्चा होती है. उनमें से एक कारसेवक गोली कांड है.
आइये जानते हैं, क्या है ये कारसेवक गोली कांड और बाबरी मस्जिद से क्या है ताल्लुक
90 का दौर था जब बाबरी मस्जिद विवाद अपने चरम पर बना हुआ था. एक वक्त आया जब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराने की ठानी और इसी कड़ी में कारसेवा शुरू की. ये वो दौर है जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे.
30 अक्टूबर 1990 वो दिन था जब साधू-संतों की भीड़ ने कारसेवकों के साथ हनुमानगढ़ी की ओर बढ़ना शुरू किया. वहीं, सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा अयोध्या में कर्फ्यू लगाया गया. हालांकि, कर्फ्यू के बावजूद लोग इतनी संख्या में सड़कों पर उतरे कि उनके रोक पाना मुश्किल हो गया था. बता दें, बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की बातों के बीच मुलायम सिंह ने एक बयान देते हुए कहा था कि, बाबरी मस्जिद पर कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता... वहीं, सड़कों पर उतरे लोगों को रोकने के लिए बाबरी मस्जिद के आसपास के इलाकों में बैरकेडिंग कर दी गई थी. कारसेवकों को पीछे हटने का लगातार आग्रह प्रशासन द्वारा किया जा रहा था लेकिव वो पीछे हटने के इरादे से आगे बढ़े नहीं थे.
कारसेवकों का एक जत्था बैरकेडिंग तक जा पहुंचा और पुलिस वैन के जरिए उसके एक हिस्से को तोड़ दिया. भीड़ आगे बढ़ने लगी कि इसी बीच लखनऊ से पुलिस को गोली दागने के आदेश दे दिए गए. वहीं, पुलिस ने इस आदेश का पालन करते हुए भीड़ पर गोलियां चला दी. इस दौरान कई कारसेवकों की मौत हो गई. वहीं, गोली चलने के चलते मची भगदड़ के चलते भी कई लोगों की जान गई. ये इतनी बड़ी घटना थी कि मृतकों की संख्या का अंदाजा आज भी नहीं लगाया जा सका.
इस घटना के बाद, 2 नंवबर को एक बार फिर प्रतिरोध मार्च निकाला गया. इस मार्च का उमा भारती, अशोक सिंघल भीड़ की अगुआई कर रहे थे. ये भीड़ हनुमान गढ़ी के पास पहुंची जहां पुलिस ने पहले उन पर लाठीचार्ज किया फिर आसूं गैस गोले दागे और देखते ही देखते फिर गोलिया दागी गईं. इस घटना में भी कई कारसेवकों की मौत हुई जिसके बाद कारसेवा रद्द कर दी गई.
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