(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
MAMSG Meeting: मल्टी-एजेंसी मेरीटाइम सिक्योरिटी ग्रुप की दिल्ली में हुई बैठक, एनएसए अजित डोभाल ने की समुद्री सुरक्षा की समीक्षा
एमएएमएसजी का गठन पिछले साल यानी नवंबर 2021 में किया गया था. इसका उद्देश्य देश की अलग-अलग मेरीटाइम सिक्योरिटी एजेंसी और मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है.
Multi Agency Maritime Security Group Meeting Delhi: मुंबई (Mumbai) के 26/11 हमले के 14 साल बाद देश के समुद्री-तट और समुद्र की सुरक्षा के लिए बनाई गई मल्टी-एजेंसी मेरीटाइम सिक्योरिटी ग्रुप (MAMSG) की पहली बैठक का गुरुवार को राजधानी दिल्ली (NCT Delhi) में आयोजन किया गया. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल (Ajit Doval) ने इस मीटिंग की अध्यक्षता की और देश की समुद्री-सुरक्षा (Maritime Security) को चाक चौबंद बनाए रखने के लिए केंद्र और राज्यों की एजेंसियों के साथ समन्वय और सहयोग पर जोर दिया.
एमएएमएसजी का गठन पिछले साल यानी नवंबर 2021 में किया गया था. इसका उद्देश्य देश की अलग-अलग मेरीटाइम सिक्योरिटी एजेंसी और मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है. इसी साल फरवरी के महीने में पूर्व सह-नौसेनाध्यक्ष, वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार (रिटायर) को एमएएमएसजी का कॉर्डिनेटर नियुक्त किया गया था.
एनएसए के अधीन आती है नेशनल सिक्योरिटी
एमएएमएसजी सीधे एनएसए के अंतर्गत कार्यरत नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट (एमएससीएस) के अधीन है. वर्ष 2001 में 'ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स' की रिपोर्ट में रिफॉर्मिंग नेशनल सिक्योरिटी सिस्टम का सुझाव दिया गया था. एमएएमएसजी का गठन उसी दिशा में एक सकारात्मक कदम है. गुरुवार की मीटिंग में समंदर से जुड़े केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, सिक्योरिटी फोर्सेज, एजेंसियों और 13 तटीय राज्यों के अधिकारी शामिल हुए.
भारत में क्यों अहम है मैरीटाइम सिक्योरिटी?
मीटिंग में बताया गया कि रोज करीब तीन लाख मछुआरे देश के समंदर में मछली पकड़ने के लिए जाते हैं. ऐसे में मेरीटाइम सिक्योरिटी बेहद अहम हो जाती है. क्योंकि भारत एक समुद्री-देश है जिसके पास 12 बड़े बंदरगाह और 200 छोटे पोर्ट हैं. मछली-पालन भी देश की अर्थव्यवस्था और रोजी-रोटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
कोस्टल इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने पर हुई बात
एमएमएएसजी (MMASG) की पहली मीटिंग में समुद्री तटों (Beaches) और समुद्री-सीमाओं (Maritime Boundaries) की सुरक्षा में 'गैप' को भरने, बंदरगाहों की सिक्योरिटी (Port Security), नेशनल मेरीटाइम डाटाबेस (National Maritime Database) बनाने, कोस्टल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने सहित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की क्षमताओं को बढ़ाने पर चर्चा हुई.
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