नई दिल्लीः चीन सीमा से चल रही तनातनी के बीच भारत लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है. पानी हो जमीन या फिर आसमान हर जगह भारत की सेनाएं मुश्तैद हैं. भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ने के बाद सरकार ने तीनों बलों (थल सेना, वायुसेना और नौसेना) को हाई अलर्ट पर रखा है. ताकि वक्त आने पर दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.
भारत ने किया मेड इन इंडिया 'ध्रुवास्त्र' मिसाइल का सफल परीक्षण
इसी बीच भारतीय सेना की ताकत में एक और नाम जुड़ गया है. भारत ने ध्रुवास्त्र मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. ये मिसाइल पूरी तरह से मेड इन इंडिया है. इस मिसाइल को अटैक हेलिकॉप्टर ध्रुव पर तैनात किया जाएगा. क्विक रिस्पांस वाली ये मिसाइल पलक झपकते दुश्मनों के ठिकानों को तबाह कर देगी.
'ध्रुवस्त्र' मिसाइल का ओडिशा में डायरेक्ट और टॉप अटैक मोड में सफल टेस्ट किया गया है. इस मिसाइल की रेंज चार किलोमीटर से लेकर सात किलोमीटर तक है. ये परीक्षण अभी हेलीकॉप्टर के बिना किया गया है.
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा बनाई गई इस मिसाइल का नाम पहले नाग था जिसे बदलकर ध्रुवास्त्र किया गया है.
29 जुलाई को भारत आ रहा है राफेल
भारतीय वायुसेना ने बयान जारी कर कहा कि राफेल फाइटर जेट्स की पहली खेप इस महीने के आखिर तक भारत पहुंच रही है और 29 जुलाई को अंबाला एयरबेस पर उन्हें एयरफोर्स में शामिल किया जाएगा. इस दौरान कोई मीडिया कवरेज नहीं होगी. वायुसेना के प्रवक्ता के मुताबिक, क्योंकि वायुसेना के पायलट्स और क्रू की (फ्रांस में) राफेल फाइटर जेट्स और उसके हथियारों पर ट्रैनिंग पूरी हो चुकी है इसलिए इन राफेल विमानों को जल्द से (चीन सीमा पर) ऑपरेशनली तैनात कर दिया जाएगा. वायुसेना के मुताबिक, अगस्त महीने के दूसरे भाग में राफेल विमानों की फाइनल इंडक्शन होगी और उस दौरान मीडिया कवरेज होगी.
एलएसी पर मल्टी लेवल सिक्योरिटी
भारतीय नौसेना के पोसाइडन 8-आई पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर निगरानी करने के लिये पूर्वी लद्दाख में तैनात किया गया है. यही नहीं आने वाले दिनों में कुछ ‘मिग-29के’ लड़ाकू विमानों को उत्तरी सेक्टर में महत्वपूर्ण ठिकानों पर रखे जाने की भी संभावना है.
नौसेना के करीब 40 मिग-29के विमानों का एक बेड़ा
नौसेना के लड़ाकू विमान शत्रु के इलाके में अंदर तक जा कर हमले करने की वायुसेना की कोशिशों और हवाई वर्चस्व क्षमताओं में सहायक होंगे. अभी नौसेना के करीब 40 मिग-29के विमानों का एक बेड़ा है और उनमें से कम से कम 18 देश के विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात हैं.
एलएसी के आसपास तैनात हैं सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे कई फाइटर जेट्स
वायुसेना ने सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे अग्रिम मोर्चे के लगभग अपने सभी तरह के लड़ाकू विामनों को पूर्वी लद्दाख में और एलएसी के आसपास अन्य स्थानों पर तैनात किये हैं. चीन के साथ सीमा विवाद बढ़ने के बाद यह कदम उठाया गया. हालांकि, पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कई स्थानों से दोनों देशों के अपने सैनिकों को पूर्ण रूप से हटाने के लिये दोनों पक्षों के बीच कूटनीतिक एवं सैन्य बातचीत जारी है.
सूत्रों ने बताया कि सेना के शीर्ष अधिकारी भारतीय नौसेना के मिग-29के लड़ाकू विमानों को राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये सेना के तीनों अंगों में समन्वय बनाने की कोशिश के तहत उत्तरी क्षेत्र के कुछ वायुसेना अड्डों पर नौत करने पर विचार कर रहे हैं.
भारत ने LAC पर तैनात किया 'हंटर'
खबर है कि एलएसी से सटे एयर स्पेस में नौसेना के टोही विमान, पी8आई को तैनात किया गया है. समंदर में कई सौ मीटर नीचे पनडुब्बी की 'हंटिंग' करने वाले इस अमेरिकी विमान को चीनी सेना की तैनाती और मूवमेंट को ट्रैक करने के लिए तैनात किया गया है.
डोकलाम विवाद के बाद भी हुई थी तैनाती
इंडीपेंडेंट फ्लाईट ट्रैकिंग वेबसाइट्स ने भारतीय नौसेना के पी8आई एयरक्राफ्ट की फ्लाईट लद्दाख और हिमाचल से सटी चीन सीमा के पास ट्रैक किया है. सीमा पर चीन से चल रहे टकराव के बीच पी8आई की तैनाती बेहद अहम है, क्योंकि वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान भी नौसेना के इस विमान को चीन से सटी एयर स्पेस में तैनात किया गया था.
कुछ महीने पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने इस बात का खुलासा किया था. डोकलाम विवाद के वक्त जनरल रावत थलसेना प्रमुख के पद पर थे.
दुश्मन की हर मूवमेंट की जानकारी
दरअसल, अमेरिका के इस लॉन्ग रेंज मेरीटाइम रिकॉनेसेंस एयरक्राफ्ट में खास इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर्स लगे हैं जो आसमान से ही 25-30 हजार फीट नीचे जमीन पर चल रही सारी गतिविधियों की तस्वीरें कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को रियल टाइम में मुहैया करा देता है. इससे हजारों मील दूर बैठ सैन्य कमांडर्स को दुश्मन की हर मूवमेंट के बारे में जानकारी रहती है.
पी8आई यानि 'पोसाइडन-8 (इंडिया)' की खासयित ये है कि जमीन पर कितने पैदल सैनिक ड्रिल कर रहे हैं, ये उस तक की जानकारी दे देता है. इसीलिए इस टोही विमान को चीन से सटी एयर स्पेस में तैनात किया गया है, क्योंकि लगातार इस तरह की खबरें आ रही हैं कि चीन की सेना गलवान घाटी और लद्दाख सहित हिमाचल प्रदेश में भी अपनी मूवमेंट एलएसी के करीब कर रही है. सैटेलाइट इमेज भी चीनी सेना की लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर लगातार बढ़ रही गतिविधियों की तरफ इशारा कर रही हैं.
भारतीय नौसेना ने 2012 में खरीदे थे विमान
आपको बता दें कि भारतीय नौसेना ने वर्ष 2012 में अमेरिकी की बोइंग कंपनी से 8 पीआई विमान खरीदे थे. बोइंग ने अपने 737 एयरक्राफ्ट को टॉरपीडो से लैस कर इन एयरक्राफ्ट को तैयार किया था. ये एयरक्राफ्ट समंदर में सबमरीन 'हंटिंग' के काम आते हैं. समंदर के नीचे कई सौ मीटर नीचे ऑपरेट कर रही पनडुब्बी को भी पी8आई डिटेक्ट कर लेता है और जरूरत पड़ने पर टॉरपीडो लांच कर सबमरीन को तबाह कर सकता है.
भारतीय नौसेना ने अपने इन 'हंटर्स' को तमिलनाडु के अराकोनम नेवल एयर बेस, आईएनएस रजाली पर तैनात कर रखा है. हाल ही में नौसेना ने चार और पी8आई एयरक्राफ्ट खरीने का ऑर्डर दिया था. ऐसे में अब नौसेना के जंगी बेड़े में 12 ऐसे एयरक्राफ्ट हो जाएंगे.
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