Mumbai 1993 Bomb Blast: मुंबई में साल 1993 में हुए बम ब्लास्ट के पीड़ित कीर्ति अजमेरा ने मोदी सरकार से बम धमाके का मास्टरमाइंड माने जाने वाले आरोपी नंबर एक अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को फांसी देने की मांग की है. कीर्ति अजमेरा ने कहा कि कांग्रेस की सरकार के दौरान उन्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि दाऊद इब्राहिम को दोबारा भारत वापस लाया जा सकेगा और ना ही कभी उसे फांसी के फंदे तक पहुंचाया जा सकेगा.


उन्होंने कहा कि अब उन्हें पूरा विश्वास है कि नरेंद्र मोदी की सरकार देश के सबसे बड़े दुश्मन को ना सिर्फ भारत लाने में कामयाब होगी बल्कि उसे फांसी के फंदे तक पहुंचाएगी और बम धमाके के पीड़ितों को न्याय देगी. उन्होंने ये भी बताया कि उनके शरीर से आज तक कांच के टुकड़े निकल रहे हैं. 


मुंबई 1993 बम धमाकों को 30 साल पूरे


मुंबई में साल 1993 में हुए बम धमाकों को आज 30 साल पूरे हुए हैं. तीस साल पहले आज ही के दिन साल 1993 में सिलसिलेवार तरीके से हुए 13 बम धमाकों से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई दहल उठी थी. इन सिलसिलेवार धमाकों में 257 लोग मारे गए थे और 713 लोग घायल हुए थे. आज भी मुंबईवासियों के जेहन में उस खौफनाक शुक्रवार की यादें ताजा हैं, लेकिन तीन दशक बीत जाने के बाद भी बम ब्लास्ट के पीड़ितों को केंद्र और राज्य सरकार से न्याय की उम्मीद है. 


दाऊद इब्राहिम को फांसी देने की मांग की


तीसवीं बरसी के मौके पर बम ब्लास्ट में जीवित बचे पीड़ित कीर्ति अजमेरा ने प्रधानमंत्री सहित गृह मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और राज्यपाल को पत्र लिख कर सरकार से मुआवजे की मांग की है. साथ ही कीर्ति अजमेरा ने ये मांग भी प्रमुख रूप से रखी है कि 1993 मुंबई बम ब्लास्ट के पीछे का मास्टरमाइंड माने जाने वाले दाऊद इब्राहिम को भारत सरकार जल्द से जल्द पकड़कर भारत लाए और देश की न्यायपालिका उसे फांसी की सजा दे. 


शरीर से कांच के टुकड़े अभी भी निकल रहे


कीर्ति अजमेरा 12 मार्च 1993 के दिन को याद करते हुए बताते हैं कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में उनके सामने हुए एक बम धमाके में वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्होंने बताया कि घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया था. बीते 30 सालों में अब तक उनकी 40 से ज्यादा सर्जरी हो चुकी है. अबतक उनके शरीर से कांच के कई टुकड़े निकाले जा चुके हैं. कीर्ति अजमेरा आगे बताते हैं कि उनके शरीर के दाहिने हिस्से में अभी भी काफी दर्द महसूस होता है. 3 दशक बीत जाने के बाद भी शरीर से कांच के टुकड़े अभी भी निकाले जा रहे हैं. 


बॉम्बे आफ्टर अयोध्या बुक में पीड़ित का किया जिक्र


एबीपी न्यूज़ के वेस्ट इंडिया संपादक जितेंद्र दीक्षित की बहुचर्चित किताब "बॉम्बे आफ्टर अयोध्या" में जितेंद्र दीक्षित ने ब्लास्ट पीड़ित कीर्ति अजमेरा का जिक्र किया है. जितेंद्र दीक्षित की लिखी गई किताब, "बॉम्बे आफ्टर अयोध्या" में, अयोध्या के बाबरी विध्वंस के बाद मुंबई में किस तरह का माहौल रहा और बीते 3 दशकों में मुंबई कितना बदला उनकी कहानी लिखी गई है.


पीड़ित ने बुक के हिंदी संस्करण का किया विमोचन 


बॉम्बे आफ्टर अयोध्या किताब में मुंबई में साल 1993 में हुए बम धमाकों के बारे में लिखा गया है. साथ ही इस किताब में ब्लास्ट के पीड़ित कीर्ति अजमेरा के संघर्षों को बारे में भी लिखा है. साल 1993 में मुंबई में हुए बम धमाके के तीसवीं बरसी के मौके पर बॉम्बे आफ्टर अयोध्या के हिंदी संस्करण "अयोध्या में कैसे बदल दी बंबई" का विमोचन कीर्ति अजमेरा की ओर से किया गया.


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