मुंबई: महाराष्ट्र में फंसे प्रवासी मज़दूरों, छात्रों और पर्यटकों को उनके घर वापस भेजने की तैयारी में राज्य सरकार जुट गई है. मज़दूर अपने राज्य या गांव वापस लौट सके इसके लिए सरकार द्वारा जगह जगह केंद्र बनाए गए जहां मज़दूरों की भारी भीड़ उमड़ रही रही. इस फैसले के बाद अलग- अलग राज्यों में फसे मज़दूरों को भले ही एक बड़ी राहत ज़रूर मिली है. लेकिन गांव वापस लौटने की उत्सुकता में मज़दूर सोशल डिस्टेंसिंग का जरा सा भी पालन नहीं कर रहे.


मुंबई के कांदिवली इलाके से एक ऐसी की तस्वीर सामने आई है. जिसमें फॉर्म लेने की होड़ में मज़दूर सोशल डिस्टनसिंग की धज्जियां उड़ाते नज़र आए.


क्या है पूरा मामला
दरहसल कांदिवली इलाके के नगरसेवक कमलेश यादव द्वारा आज गांव जाने वालों मज़दूरों को फॉर्म बांटने का कार्य किया जा रहा था. जैसे ही लोगों को पता चला कि उनके इलाके के नगरसेवक कमलेश यादव गांव जाने वालों के लिए फॉर्म बाट रहे हैं, वैसे ही लोगों का जनसैलाब नगरसेवक के कार्यालय के सामने उमड़ने लगा.


कार्यालय के बाहर उमड़ी भीड़ को देखते हुए नगरसेवक कमलेश यादव के इस कार्य पर कई सवाल उठने लगे. नगरसेवक ने जैसे तैसे तीन हजार लोगों को फॉर्म बाटे लेकिन उसके बाद भी जब और भी ज्यादा लोगों की भीड़ जुटने लगी तो फॉर्म बांटने का काम रोकना पड़ा. इतना ही नहीं भीड़ को हटाने के लिए कार्यकर्ताओं को डंडे का सहारा भी लेना पड़ा.


वीडियो के वायरल होने के बाद नगरसेवक पर उठ रहे सवाल को देख अपना पक्ष रखा. नागरसेवक कमलेश यादव ने बताया के पिछले दो दिनों से स्थानिक पुलिस की मदत से हम यह कार्य कर रहे हैं. मज़दूरों की सहायता के लिए हम हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं. यूपी, एमपी, गुजरात, राजस्थान इत्यदि राज्य में मज़दूरों को पहुंचाने के लिए हम संवाद साधने के कार्य कर रहे हैं. हम लगातार मज़दूरों से अपील करते रहे हैं कि एक दूसरे के बीच सामाजिक दूरी बनी लेकिन मज़दूर हमारा कहना नहीं मान रहे.


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