मुंबई: डी.शिवानंदन मुंबई के वे आईपीएस अधिकारी हैं जिनका नाम सुनते ही बडे बडे गैंगस्टरों के पसीने छूट जाते थे. उनकी एनकाउंटर्स की रणनीति के तहते 90 के दशक में मुंबई के अलग अलग गिरोहों के 238 गैंगस्टरों को पुलिस ने यमलोक पहुंचा दिया. इस सख्त नीति की वजह से मुंबई अंडरवर्लड की कमर टूट गई और शहर में संगठित अपराध गिरोहों की सक्रीयता लगभग खत्म हो गई. जो शिवानंदन गैंगस्टोरों की जान लेने के लिये मशहूर हुए वहीं शिवानंदन इन दिनों गरीबों की जान बचाने का काम कर रहे हैं. शुक्रवार को उनकी मां का निधन हो गया लेकिन उनके अंतिम संस्कार के चंद मिनटों बाद ही शिवानंदन गरीबों की खातिर खाने का प्रबंध करने में जुट गये.
डी. शिवानंदन भले ही बाहर से शांत और नरम दिल नजर आते हों, लेकिन 90 के दशक में इनके नाम से मुंबई में अपराधियों की हालत पतली हो जाती थी. इस शख्स का नाम है डी.शिवानंदन जिसे मुंबई अंडरवर्लड में वर्दीवाला यमराज कहा जाता था. 90 के दशक में जब मुंबई पर अंडरवर्लड हावी था, रोजाना सडकों पर लाशें गिरतीं थीं, उगाही के लिये लोगों को धमकी भरे फोन आते थे, उस वक्त बतौर मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर डी. शिवानंदन ने अपनी मुहीम शुरू की. ये मुहीम थी गैंगस्टरों को एनकाउंटर्स में खत्म करने की.
शिवानंदन के कार्यकाल में 238 गैंगस्टरों को मुंबई पुलिस ने ढेर कर दिया, जिसमें दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, अरूण गवली, अबू सलेम और अश्विन नाईक जैसे गिरोंहों के शूटर शामिल थे. प्रदीप शर्मा, दया नायक, विजय सालस्कर जैसे पुलिस अधिकारियों की टीम के साथ शिवानंदन ने अंडरवर्लड पर मौत बरसानी शुरू की. हालांकि शिवानंदन की एनकाउंटर्स की रणनीति पर विवाद भी हुआ और मानवाधिकार संगठनों ने इस पर काफी बवाल भी मचाया लेकिन इस नीति के ठोस नतीजे भी दिखाई दिये.
इस कदम से मुंबई में अंडरवर्लड की कमर टूट गई. शहर की गलियों में गैंगवार लगभग खत्म हो गये. मुंबई का पुलिस कमिश्नर और महाराष्ट्र का डीजीपी बनने के बाद शिवानंदन साल 2011 में रिटायर हो गये, लेकिन रिटायर होने के बाद भी उन्होने अपराध के खिलाफ जंग जारी रखी. इस जंग का हथियार उन्होने गोली के बजाय रोटी को चुना. उन्होने एक संस्था बनाई है रोटी बैंक जो होटलों इत्यादि से बचा हुआ खाना इकट्ठा करके उसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाती है.
शिवानंदन की संस्था संस्था 4 सालों से गरीबों को खाना खिला रही है
वैसे तो शिवानंदन की ये संस्था बीते 4 सालों से गरीबों को खाना खिलाने का काम कर रही है लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाऊन के बाद उनका काम बढ़ गया है. खाना न मिल पाने के कारण कई लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गये हैं. ऐसे में उन्होने मुंबई पुलिस के साथ हाथ मिलाकर रणनीति तैयार की और जहां जहां जरूरतमंद लोग नजर आ रहे हैं वहां रोटी बैंक के सदस्य पुलिस की मदद से खाना पहुंचा रहे हैं.
रोजाना 3 हजार से लेकर 5 हजार लोगों को खाना खिला रहे हैं शिवानंदन
शुक्रवार को शिवानंदन की 95 साल की मां का निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार करके लौटने के चंद मिनटों बाद ही शिवानंदन फिर एक बार गरीबों की खातिर खाने का इंतजाम करवाने में जुट गये. इन दिनों वे रोजाना 3 हजार से लेकर 5 हजार लोगों को खाना खिला रहे हैं. खाना पहुंचाने के लिये इनके पास 8 गाडियां हैं लेकिन शहर में कर्फयू होने के कारण कई ड्राईवर काम पर पहुंच नहीं पा रहे जिस वजह से इस खान पहुंचाने में इन्हें दिक्कतें आ रहीं है.
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