Mumbai News, Param Bir Singh: मुंबई पुलिस में PI रैंक के अधिकारी अनूप डांगे (Anup Dange) ने पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (former Mumbai Police Commissioner Param Bir Singh) के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. इन्हीं आरोपों की जांच मुंबई एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) कर रही है. महीनों चली जांच के बाद अब जाकर मुंबई एंटी करप्शन ब्यूरो ने सिंह को समन भेजकर उन्हें उनका बयान दर्ज करवाने के लिए बुलाया था. 


मुंबई एंटी करप्शन ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने उन्हें 10 जनवरी को पहली बार उनका बयान दर्ज करने के लिए समन जारी किया था. उस समय उन्होंने कहा था कि 11 जनवरी को उनकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. इस वजह से वो अपना बयान दर्ज करवाने नहीं आ सकते.


आज ACB के कार्यालय में होना था उपस्थित


परमबीर सिंह ने उस समय अपने वकीलों के माध्यम से एंटी करप्शन ब्यूरो से और समय की मांग की थी, जिसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो  ने उन्हें दोबारा समन भेजा और आज यानी मंगलवार को दोपहर 12:30 बजे ACB के कार्यालय में उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज करवाने को कहा था. एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के सूत्रों ने बताया कि यह दूसरा समन उन्हें कुरियर के माध्यम से भेजा गया था, क्योंकि वो अपने घर पर मौजूद नहीं थे. हालांकि, एंटी करप्शन ब्यूरो को परमबीर सिंह की तरफ से कोई जवाब नहीं आया था कि वो इस समन के समय क्यों नहीं आएंगे.


लेटर देकर की कुछ और समय की मांग- वकील


सिंह के वकील ने बताया की उन्होंने मुंबई एंटी करप्शन ब्यूरो को लेटर देकर कुछ और समय की मांग की है. इस लेटर में कोविड के हालात का हवाला देते हुए बयान दर्ज कराने के लिए दो हफ्तों का अतिरिक्त समय मांगा गया है. बता दें कि पुलिस निरीक्षक अनूप डांगे की शिकायत पर जांच के लिए गृह मंत्रालय ने इजाजत दी थी. इस मामले के बाद पुलिस निरीक्षक बी.आर. घाडगे ने डीजी कार्यालय को खत लिखकर परमबीर सिंह पर भ्रष्टाचार कर करोड़ों रुपये कमाने के आरोप लगाए थे. उन्होंने 14 पन्नों का शिकायत पत्र लिखा था, जिसे मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, डीजी कार्यालय और एसीबी को भेजा था.


अपनी शिकायत में घाडगे ने परमबीर सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा था कि जब वो ठाणे के पुलिस कमिश्नर थे, उस समय अमीर आरोपियों के नाम एफआईआर से निकालने के लिए गलत तरीके के आदेश दिए थे. घाडगे ने शिकायत में कहा कि एक मामले में 22 सरकारी कर्मचारियों के नाम निकालने के आदेश सिंह ने घाडगे को दिया था. उन्होंने सिंह के आदेश को नहीं माना, तो उनके खिलाफ 4 फर्जी मामले दर्ज कर उन्हें पुलिस विभाग से निलंबित कर दिया गया था.


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