मुंबई: देश में लॉकडाउन की घोषणा और ट्रेने बंद होने के बाद तमाम ऐसे लोग थे जो जहां थे वहां फंस गये और अपने घरों तक नहीं पहुंच पाए ऐसे ही करीब 300 यात्री मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस के बाहर करीब 14 दिन से स्टेशन के बाहर बगैर नहाये धोए अपने दिन काट दिए.न इनके पास रहने की छत थी न नहाने और शौचालय की व्यवस्था. मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन के बाहर सैकड़ों की तादात में अपने सामानों के साथ बैठ ये वो लोग थो जो निकले तो थे अपने घरों के लिये लेकिन लॉकडाउन की वजह से ट्रेने बंद होने के बाद कही नहीं जा सके.

इनमें से किसी को उत्तर प्रदेश जाना था तो किसी को बिहार. ट्रेन बंद हुई तो इनकी जिंदगी भी इसी स्टेशन के बाहर रुक गयी. करीब 14 दिन से इसी स्टेशन के बाहर अपना रात दिन गुजार रहे थे लेकिन कुछ समाज सेवियों की मदद से इन तक खाने पानी की मदद मिली जिसकी वजह से 14 दिन काट सके. इनमें तमाम लोग ऐसे थे जो मुंबई में मजदूरी करते थे और उनके पास उनका कोई घर यहां नही था.

14 दिनों तक लगातार इन यात्रियों की मदद करने वाले समाज सेवी मयंक गर्ग जो कि एक कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी करते हैं. मयंक को जब इन यात्रियों के बारे में पता चला तो वो रोज यहां आने लगे और इनके पेट भरने की व्यवस्था करते रहे. मयंक लगातार प्रशासन के लोगों से भी मिलते रहे और प्रयास करते रहे कि एक इन यात्रियों को कही रहने की व्यवस्था की जाये और करीब 14 दिन बाद मयंक को इसमें सफलता मिली. मयंक के मुताबिक कुछ दिनों तक मुंबई प्रशासन से बार बार सिफारिश करने के बाद भी इन यात्रियों को मदद नहीं मिल सकी लेकिन जब इसकी खबरे आनी शुरू हुईं तो प्रशासन जागा और इन बेघर यात्रियों को राहत शिविर में अब ले जाने की व्यवस्था हुई है.


फिलहाल 14 दिन से मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस के बाहर फंसे इन यात्रियों को मुंबई के वर्सोवा इलाके में बने राहत शिविर में पहुंचाया गया है जहां पर महाराष्ट्र प्रशासन के सिविल डिफेंस विभाग की तरफ से लगाये गए राहत शिवर की व्यवस्था की गयी है. यहां पर मुंबई के और भी इलाको में फंसे लोगों को लाने की व्यवस्था की जा रही है.


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