American Court: अमेरिका की एक कोर्ट ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले मामले में वांछित पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यापारी तहव्वुर राणा की स्टेटस कॉन्फ्रेंस खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि अगले 30 दिन में राणा को भारत को प्रत्यर्पित किये जाने पर फैसला आ जाने की उम्मीद है.
लॉस एंजिलिस, कैलिफोर्निया के जिला कोर्ट की जस्टिस जैकलीन चूल जियान ने जून, 2021 में इस मुद्दे पर पिछली सुनवाई की थी और जुलाई 2021 में कागजों का आखिरी सेट कोर्ट में सौंपा गया था. इस कोर्ट ने राणा को भारत को प्रत्यर्पित किये जाने के अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर फैसला अभी सुनाया नहीं है.
सजा कम करने संबंधी प्रावधान पर चर्चा
पिछले महीने अपने वकील के जरिए दायर याचिका में 62 साल के तहव्वुर राणा ने अनुरोध किया कि कोर्ट अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष को इस मामले पर और अपराध कबूल करने पर सजा कम करने संबंधी प्रावधान पर चर्चा करने की अनुमति दे.
'स्टेटस कॉन्फ्रेंस 25 अप्रैल को हो'
तहव्वुर राणा के वकील ने कहा, "इस मामले में कोर्ट में पिछली बहस 21 जुलाई, 2021 को हुई थी. इतना समय बीत जाने और राणा के लगातार सलाखों के पीछे रहने के मद्देनजर इस कोर्ट और वकीलों के लिए इस मामले की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करना उपयुक्त जान पड़ता है." तहव्वुर के वकील ने सुझाव दिया कि ‘स्टेटस कॉन्फ्रेंस’ 25 अप्रैल को हो, लेकिन कोर्ट ने 17 अप्रैल को अपने एक आदेश में इस आवेदन को खारिज कर दिया.
30 दिन में फैसला आने का अनुमान
कोर्ट के आदेश में कहा गया है, "याचिका में जो यह अनुरोध किया गया है कि कोर्ट संबंधित पक्षों को इस मामले की नई स्थिति से अवगत कराता रहे, वह मंजूर किया जाता है. संबंधित पक्षों को सलाह दी जाती है कि कोर्ट को 30 दिन में इस मामले पर फैसला जारी हो जाने का अनुमान है."
कोर्ट ने स्टेटस कॉन्फ्रेंस के अनुरोध को खारिज किया
इसी आदेश में कहा गया है, "कोर्ट स्टेटस कॉन्फ्रेंस के अनुरोध को खारिज करती है क्योंकि कोर्ट की राय है कि यह कार्यवाही अनावश्यक है और इससे इस मामले के निस्तारण में कोर्ट को कोई मदद नहीं मिलेगी." आदेश में कहा गया है कि "हालांकि नए घटनाक्रम की स्थिति में संबंधित पक्ष कोर्ट के संज्ञान में इसे लाएंगे. वकीलों को इस संबंध में सात दिन के अंदर संयुक्त स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है."
राणा को पता था डेविड लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था
कोर्ट की सुनवाई के दौरान संघीय अभियोजकों ने दलील दी थी कि तहव्वुर राणा को पता था कि बचपन का उसका दोस्त डेविड कोलमैन हेडली लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था और हेडली की मदद करके और उसकी गतिविधियों पर पर्दा डालकर वह आतंकवादी संगठन और उसके सहयोगियों की मदद कर रहा था.
अमेरिकी सरकार ने माना राणा साजिश का हिस्सा
अभियोजकों ने कहा था कि तहव्वुर राणा हेडली की बैठकों से अवगत था कि किस तरह की चर्चा हुई और हमलों की साजिश रची जा रही थी. अमेरिकी सरकार ने कहा कि राणा साजिश का हिस्सा था. हालांकि तहव्वुर राणा के वकील ने उसके प्रत्यर्पण का विरोध किया है. बता दें कि साल 2008 में मुंबई पर लश्कर ए तैयबा के हमले में छह अमेरिकियों समेत 166 लोगों की जान चली गयी थी.
गंभीर नुकसान को जानते थे
संघीय अभियोजकों ने कहा है कि साजिश में शामिल सदस्य हत्या या गंभीर नुकसान को जानते थे. उन्होंने कहा, "भारतीय कानून के तहत, साजिश में शामिल अन्य सदस्य भी हत्या के लिए जवाबदेह होंगे, भले ही वे घटनास्थल पर शारीरिक रूप से उपस्थित न हों."
हेडली आतंकवादियों के साथ काम कर रहा था
अभियोजकों ने कहा कि तहव्वुर राणा जानता था कि हेडली आतंकवादियों के साथ काम कर रहा था और लश्कर और अन्य सह साजिशकर्ता मुंबई में हमले की साजिश रच रहे थे. अभियोजकों ने कहा कि राणा ताजमहल पैलेस होटल और उसकी दूसरी मंजिल जैसे कुछ संभावित ठिकानों की स्थिति से भी वाकिफ था, क्योंकि उसने और हेडली ने उन जगहों के बारे में चर्चा की थी.
अभियोजकों ने कहा, "इस तरह, तहव्वुर राणा जानता था कि डेविड़ कोलमैन हेडली की मदद करने और उसे मुंबई में अपने आव्रजन कार्यालय का इस्तेमाल करने की अनुमति देकर, लश्कर और अन्य आतंकवादी हमलों को अंजाम देने में सक्षम होंगे."