दिल्ली के शाहीन बाग की तरह मुंबई में CAA के खिलाफ महिलाओं का प्रदर्शन जारी
हमे केवल CAA, NRC और NPR से ही आज़ादी नही, बल्कि बेरोज़गारी, भुकमरी और गिरती जीडीपी से भी आज़ादी चाहिए- मुम्बई बाग़ पर प्रदर्शन कर रही महिला की मांग.
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मुंबई: सीएए, एनरसी और एनपीआर के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग़ में भड़की विरोध की आग अब मुंबई आ पहुंची है. पिछले एक महीने से जिस तरह से दिल्ली के शाहीन बाग़ में महिलाएं सीएए कानून के विरोध में धरने पर बैठी हुई हैं. ठीक उसी तर्ज पर अब मुंबई में महिलाएं सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में सड़कों पर उतर चुकी हैं. मुंबई के नागपाड़ा इलाके से इस प्रदर्शन की शुरुआत की गई है, जिसे मुंबई बाग़ का नाम दिया गया है. शनिवार रात 10 बजे अचानक महिलाओ की भीड़ नागपाड़ा इलाके के मोरलैंड रोड पर उमड़ने लगी. देखते ही देखते यह संख्या अचानक हज़ारों में तब्दील हो गई.
मुंबई बाग़ में प्रदर्शनरत महिलाओं को अब यहां तीन दिन हो गए हैं. यहां महिलाएं लगातार सीएए, एनरसी और एनपीआर के खिलाफ नारेबाजी कर रही हैं. इस प्रदर्शन में बूढ़े, बच्चे और कॉलेज के छात्र भी शामिल हैं. पिछले तीन दिन से नागपाड़ा इलाके में केवल सीएए से आज़ादी, एनरसी से आजादी और एनपीआर से आज़ादी के नारे की गूंज सुनाई दे रही है.
मुंबई बाग़ का नेतृत्व कर रही महिलाएं जो बारी बारी से इस प्रदर्शन को आगे ले जा रही हैं. उनका कहना है कि हम मुंबई को दिल्ली का शाहीन बाग़ बनाएंगे. हम तब तक इस तरह से प्रदर्शन करते रहेंगे जब तक इस कानून को वापस नहीं लिया जाता है. ये लड़ाई आज केवल एक धर्म को बचाने के लिए नहीं लड़ी जा रही, बल्कि उस कानून के खिलाफ लड़ी जा रही है जो संविधान के खिलाफ है. हमसे हमारी आज़ादी छीनने वाले कानून के खिलाफ ये लड़ाई है. आज इसका विरोध केवल एक धर्म के लोग नही बल्कि सभी धर्म के लोग कर रहे हैं.
इन लोगों का कहना है कि आज आज़ादी हमें केवल सीएए, एनरसी और एनपीआर से ही नहीं चाहिए. आज़ादी हमें उन सभी मुद्दों से चाहिए जिस के चलते आज पूरा देश त्रस्त है. हमारा विरोध केवल सीएए, एनरसी और एनपीआर के लेकर ही नहीं है. हमारा विरोध बेरोज़गारी, भुखमरी और गिरती जीडीपी के खिलाफ भी है. प्रदर्शन में शामिल महिलाओं का कहना है कि आज सरकार को जहां इन मुद्दों पर ध्यान देने की ज़रूरत थी वो अपना ध्यान सीएए, एनरसी और एनपीआर को लागू करने में लगा रही है. यहां लोगों का कहना है कि जब तक सरकार हमारी मांगों को नजरअंदाज करेगी हम यहां डटे रहेंगे.
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