मुंबई: मुंबई के गोरेगांव इलाके में 10 जुलाई की रात खुले नाले में गिरकर लापता हुए डेढ़ साल के दिव्यांश सिंह की कोई ख़बर नहीं मिल रही है. दिव्यांश के मां और पिता का रो-रोकर बुरा हाल है. 5 दिन बीत जाने के बाद भी परिवार जिस तकलीफ में है उसकी कल्पना भी नही की जा सकती. डेढ़ साल के बेटे के घर में ना होने से रोती हुई मां के दर्द का अंत नहीं है. अब कल्पना कीजिए उस पत्नी और 2 बच्चों के बारे में जिसके पिता खुले नाले में गिरकर लापता हो गए हों और परिवार 2 साल से उनकी राह देख रहा हो.


दरअसल, करीब 2 साल पहले 29 अगस्त 2017 को मुंबई में मूसलाधार बारिश हुई थी. उस दिन की बारिश ने कई लोगों को मौत के आगोश में ले लिया था. उसी दिन मशहूर डॉक्टर दीपक अमरापुरकर भी लोअर परेल इलाके में मैनहोल में गिर गए थे और उनका शव 2 दिन बाद समुद्र किनारे वर्ली इलाके के बड़े सीवर में मिला था. उसी दिन की बारिश में 45 साल के भीमसेन काम्बले भी लापता हो गए थे.


45 साल के भीमसेन कांबले जो खुद बीएमसी में सफाई कर्मचारी थे. 29 अगस्त 2017 की बारिश के बाद से भीमसेन की कोई खबर नही है. इनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट मुंबई पुलिस और उल्हासनगर में दर्ज कराई गई है. लेकिन 2 साल बाद भी भीमसेन की कोई ख़बर नही है. भीमसेन दादर के बीएमसी 'जी साउथ' वार्ड में तैनात थे. वही बीएमसी दफ्तर जिससे 100 मीटर दूरी पर खुले मैनहोल में गिरकर मशहूर डॉक्टर दीपक अमरापुरकर की मौत हो गई थी. भीमसेन के साले अमित हॉटे अपने जीजा की तलाश में दर दर भटक रहे हैं.


भीमसेन काम्बले की पत्नी सीमा कांबले, एक 13 साल का बेटा जितेश और एक 11 साल को बेटी अदिति कांबले है. भीमसेन पिछले 15 सालों से बीएमसी के सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करते थे और मुंबई से सटे उल्हासनगर में रहते थे. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर दीपक अमरापुर को ढूढने में बीएमसी और पुलिस ने पूरी जोर लगा दी थी पर भीमसेन कांबले के मामले में कोई तेजी नही दिखाई.


बीएमसी, पुलिस या प्रशाशन ना कांबले परिवार को उनके घर का मुखिया तलाश कर लाई और ना ही किसी प्रकार की मदद की. सीमा कांबले अपने दोनों बच्चों के साथ अपने भाई अमित हाटे के साथ रह रही हैं. अमित हाटे एक तरफ अपनी बहन और भांजे भांजी को संभाल रहे है तो दूसरी ओर आज भी अपने जीजा भीमसेन की तलाश में भटक रहे हैं. परिवार आज भी उम्मीद लगाए बैठा है कि पानी में बह गए भीमसेन जरूर लौट कर आएंगे, लेकिन हर दिन उनके उम्मीद की मौत होती है और इस उम्मीद के बनने और टूटने के दर्द का कोई अंत नही है.


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