मुंबई: क्या मुंबई हर्ड इम्यूनिटी की ओर बढ रही है? ये उम्मीद बंधी है हाल ही में मुंबई महानगरपालिका की ओर से कराए गए एक सिरो सर्वे में. इस सर्वे में मुंबई की झुग्गी बस्तियों से जिन लोगों के खून के सैंपल लिए गए, उनमें से 57 फीसदी लोगों के शरीर में कोरोना के एंटीबॉडी पाए गए. इसका एक मतलब ये है कि एक बड़ी तादाद में लोगों को कोरोना हुआ और उन्हें पता भी नहीं चला.


जब भारत में कोरोना की महामारी ने दस्तक दी तो उसका सबसे बड़ा शिकार बना महाराष्ट्र राज्य. महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई भी जल्द ही देश की कोरोना कैपिटल बन गई, लेकिन अब धीरे धीरे मुंबई से अच्छी खबरें भी आनी शुरू हो गईं हैं और सबसे अच्छी खबर ये मानी जा रही है कि मुंबई अब हर्ड इम्यूनिटी की तरफ बढ रही है. मुंबई की झुग्गी बस्तियां कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं. शहर को कोरोना कैपिटल बनाने में इनकी एक बड़ी भूमिका रही, लेकिन इन्हीं झुग्गी बस्तियों से एक सुकून देने वाली खबर आ रही है.


मुंबई महानगरपालिका ने हाल ही में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और नीति आयोग के साथ मिलकर बीएमसी के 3 वार्डों में सीरो सर्वे किया. इस सर्वे में झुग्गी बस्तियों और पक्की इमारतों में रहने वालों को शामिल किया गया और करीब 7000 लोगों के खून के सैंपल लिए गए. इनमें से झुग्गी बस्तियों में रहने वाले करीब 4 हजार लोगों के सैंपल लिए गए, जिनमें 57 फीसदी लोगों में कोरोना की एंटीबॉडी मिली, जबकि पक्की इमारतों में रहने वाले करीब 3 हजार लोगों के सैंपल लिए गए जिनमें से 16 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी मिली हैं.


शरीर में एंटीबॉडी मिलने का मतलब है कि इंसान को कोरोना हुआ और वो ठीक भी हो गया, लेकिन उनमें बीमारी के कोई लक्षण नजर नहीं आए. बीएमसी के एडीश्नल म्युनिसिपल कमिश्नर सुरेश काकाणी इन आंकडों से काफी उत्साहित है और उनका मानना है कि ये हर्ड इम्यूनिटी के संकेत हैं.


आंकड़े दिल को लुभाने वाले हैं. इनसे यही संकेत मिल रहे हैं कि मुंबई हर्ड इम्युनिटी की दिशा में आगे बढ रही है, लेकिन अभी से खुशी मनाने की जरूरत नहीं है. मामले में थोड़ा सा पेंच है. जानकारों का कहना है कि जिन लोगों के एंटीबॉडी टेस्ट किये गये हैं, कुछ दिनों बाद फिर से उनके टेस्ट किये जाने चाहिए और ये देखा जाना चाहिए कि एंटीबॉडी कितने वक्त तक उनके शरीर में रहते हैं.


बीएमसी का कहना है कि पक्की इमारतों की तुलना में झुग्गी में रहने वालों में एंटी बॉडी मिलने की दर ज्यादा इसलिये है, क्योंकि झुग्गी में रहने वाले लोग सार्वजनिक शौचालयों और नलों का इस्तेमाल करते हैं और वे वायरस के संपर्क में ज्यादा रहे हैं. सीरो सर्वे के जरिये एक और अहम जानकारी ये मिली कि झुग्गी बस्तियों में पुरूषों की तुलना में महिलाओं में एंटीबॉडी मिलने की तादाद ज्यादा है.


कुल महिलाओं में से 59 फीसदी महिलाओं में एंटीबॉडी पाई गई, जबकि पुरूषों में 53 फीसदी. इसके अलावा एक और अच्छी खबर ये आई कि मंगलवार के दिन बीते 100 दिनों के भीतर सबसे कम नए कोरोना के मामले सामने आए. एक दिन सिर्फ 717 नए मामले आए हैं. मुंबई में अब तक 1 लाख 10 हजार से भी ज्यादा कोरोनाग्रस्त मरीजों के मामले सामने आ चुके हैं.


सीरो सर्वे की रिपोर्ट, कोरोना मरीजों की बढ़ रही संख्या की रफ्तार कम होना और मृत्यु दर कम होना, ये सब लगातार सकारात्मक संकेत दे रहे हैं. अब मुंबई वालों को इंतजार उस दिन का है, जब मुंबई पूरी तरह से कोरोना मुक्त हो जाए.


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