मुंबई: कोरोना से ये देश लड़ रहा है. ऑक्सीजन, बेड, अस्पताल की दिक्कतों के बीच सियासतदान नया पैंतरा आजमाने और एक दूसरे पर आरोप लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं. इसी से जुड़ा मामला है मुंबई का. मुंबई में तीसरे लहर की आशंका के बीच बीएमसी 16 ऑक्सीजन प्लांट बनाने जा रही है, चलिए देर से ही सही 'सांसों' की याद तो आई. लेकिन बीएमसी का जो एस्टीमेट है, उसपर बीजेपी ने सवाल खड़े किए हैं. सिर्फ इतना ही नहीं जो कंपनी इस प्लांट का टेंडर हासिल करने की रेस में हैं. आरोप लग रहे हैं कि वो कंपनी ब्लैक लिस्टेड है.
कोरोना की दूसरी लहर में जितनी घातक ये महामारी रही, उतनी ही घातक देश में ऑक्सीजन की कमी भी साबित हुई है. गोवा में 26, आंध्र में 11 तो यूपी-बिहार न जाने कहां कहां से ऑक्सीजन की वजह से मौत की खबरों ने देशभर को रुलाया. ऐसे में बीएमसी अब तीसरी लहर की तैयारी करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती तो 16 ऑक्सीजन प्लांट मुंबई में लगवाने जा रही है.
अब ऐसा संवेदनशील मुद्दा है तो सब कुछ पाक-साफ होना चाहिए लेकिन नहीं...टेक्निकल बिड ओपन कर दी गई लेकिन विपक्षी पार्टी बीजेपी बीएमसी के एस्टीमेट को लेकर ही सवाल उठा रही है. अब ये सवाल क्या हैं वो आगे बात करते हैं, उससे पहले एक और गंभीर आरोप पर नजर डालते हैं. ऑक्सीजन जैसे संवेदनशील मामले में एक ऐसी कंपनी मुंबई में प्लांट तैयार करने की रेस में है जिसे जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज ने नवंबर 2020 में समय पर काम पूरा न करने की वजह से ब्लैक लिस्ट कर दिया था. बीजेपी नेता विनोद मिश्रा ने बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त पी वेलारासु को पत्र लिखकर कंपनी को टेंडर प्रक्रिया से हटाने की मांग की है.
बीजेपी के आरोपों के मुताबिक, M/s Unissi India Private Limited को वर्क ऑर्डर मिलने के 30 दिनों में जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन प्लांट तैयार करना था. लेकिन कंपनी समय पर ऐसा नहीं कर सकी जिसकी वजह से कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया. और अब यही कंपनी बीएमसी में पीछे के दरवाजे से टेंडर प्रक्रिया में शिरकत कर रही है. कंपनी ने Ms Highway construction कंपनी को डीलरशिप देकर टेंडर में हिस्सा लिया है.
बीजेपी का दावा है कि बीएमसी ने जो शर्तें टेंडर में रखी हैं, उसके मुताबिक 15 दिनों में ऑक्सीजन प्लांट बनाना होगा नहीं तो जुर्माना भरना होगा. सवाल यह है कि जो कंपनी 30 दिनों में ऑक्सीजन प्लांट नहीं बना पाई वह 15 दिनों में कैसे बना पाएगी.
अब बात करते हैं बीजेपी के दूसरे आरोप की. बीजेपी का कहना है कि बीएमसी ने ऑक्सीजन प्लांट के लिए अपने ऐस्टीमेट कॉस्ट को 3 गुना बढ़ाया हुआ है. बीजेपी के मुताबिक, ठाणे और कल्याण डोंबिवली महापालिका ने ट्रेक्नोमेंट इंटरप्राइजेस कंपनी को 960 लिक्विड पर मिनिट ऑक्सीजन तैयार करने का काम एक करोड़ 40 लाख में दिया है, जबकि मुंबई महानगरपालिका 850 लिक्विड पर मिनिट ऑक्सीजन के लिए दो करोड़ 84 लाख रुपए खर्च कर रही है.
हालांकि, बीएमसी ने बीजेपी द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है. बीएमसी का कहना है कि ऑक्सीजन प्लांट में उत्पादन की क्षमता उत्पादन करने का तरीका, टेक्निकल बातें और काम करने की पद्धति के साथ ही लगने वाला समय सभी बातों को ध्यान में रखकर ही ऑक्सीजन प्लांट की कीमत तय की गई है. इसलिए बिना इन बातों को ध्यान में लेते हुए आरोप लगाना ठीक नहीं है. मुंबई की मेयर किशोरी पेडणेकर ने भी बीजेपी के आरोपों को गलत करार दिया है.
कोरोना की दूसरी लहर में यह देखा जा रहा है कि वायरस के संक्रमण में आए लोगों का ऑक्सीजन लेवल तेजी से गिर रहा है. लिहाजा ऑक्सीजन कि बड़े पैमाने पर मांग की जा रही है. ऐसे वक्त में जल्द से जल्द पारदर्शिता के साथ ऑक्सीजन प्लांट तैयार करने की आवश्यकता है. जिससे कि आने वाले वक्त में होने वाले विवाद को टाला जा सके.