मुंबई नाव हादसे में सौभाग्य से 98 लोगों की जान बच गई, जिनमें वैशाली अदकाने और उनका परिवार भी शामिल है. 30 मिनट तक मौत का ऐसा मंजर सामने था जिसे ये लोग शायद कभी भूल नहीं पाएंगे. इस हादसे के दौरान फिल्म बाहुबली जैसा नजारा देखने को मिला, जब एक डेढ़ साल के बच्चे को बचाने के लिए उसके मामा उसे आधे घंटे तक समंदर के बीचोंबीच कंधे पर लेकर खड़े रहे. ये बच्चा वैशाली अदकाने का है. वैशाली के भाई ने हाथ से नाव पकड़ी और बच्चे को कंधे पर बिठा लिया.


वैशाली अदकाने ने एबीपी माझा को बताया कि उनके परिवार के 8 लोग फेरी पर सवार थे और जब नेवी की स्पीडबोट उनकी फेरी से टकराई तो झटका लगा और वो सब लोग फेरी के फ्लोर पर गिर पड़े. तब फेरी के ड्राइवर ने सब लोगों से लाइफ जैकेट पहनने के लिए कहा और सब लोगों ने जैकेट पहन ली. इस दौरान उनका भाई भी साथ था.


वैशाली ने आगे कहा कि थोड़ी देर बाद उन्होंने महसूस किया कि फेरी एक तरफ को झुक गई और फिर वह डूबने लगी, कुछ लोग बोट के नीचे फंस गए.  कुछ लोगों की लाइफ जैकेट उनसे छूट गई, जिसकी वजह से ये लोग डूब गए. उन्होंने कहा, 'हमने भी बोट को पकड़ा हुआ था और समंदर में तैर रहे थे और ये वो मंजर था जब मौत बिल्कुल सामने खड़ी थी और मुझे किसी भी हालत में अपने 14 महीने के बेटे शारविल को बचाना था. मेरे भाई ने मेरे बेटे को अपने कंधे पर बिठाया और खुद वो पानी में तैर रहा था. चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी था. 30 मिनट तक हमें कोई सहायता नहीं मिली. थोड़ी देर बाद 2-3 बोट हमारी ओर आईं, 10 मिनट और बोट लेट आतीं तो हम मर जाते.'  


वैशाली अदकाने ने ये भी बताया कि एक विदेशी कपल ने कई लोगों को डूबने से बचाया. इस कपल ने अपनी जान की परवाह किए बगैर 7 लोगों की जिंदगी बचाई. वैशाली अदकाने का परिवार एलिफेंटा केव्स से लौट रहा था. वैशाली मुंबई के कुर्ला की रहने वाली हैं. इस फेरी बोट पर 113 लोग सवार थे, जिनमें से 13 लोगों की मौत हो गई है, 2 लोग घायल हो गए. 98 लोग हादसे में बचे हैं, जबकि दो अभी भी लापता हैं.


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