Mumbai Building Collapse: मुंबई में भारी बारिश के दौरान हर साल की तरह इस साल भी इमारतों के ढहने के कई मामले सामने आए है. मुंबई के मलाड मालवणी, चेंबूर, विक्रोली सहित कई इलाकों में हुए इमारत ढहने के हादसे में 40 से अधिक लोगों की जान चली गई है. इन हादसों और मौतों के बावजूद प्रशासन ने आंखें बंद कर रखी है. मुंबई के कई इलाकों में सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण का कार्य एक बार फिर धड़ल्ले से शुरू हो चुका है.


सामाजिक कार्यकर्ता इफ्तेकार शाह ने बीएमसी से की शिकायत के मुताबिक मुंबई के वर्सोवा कोलीवाडा इलाके में भी लैंड माफियाओं ने सरकारी जमीन हड़पने की प्रक्रिया एक बार फिर शुरू कर दी है. दरअसल, ये कलेक्टर की हद में आने वाली वो जमीन है जो कभी खाड़ी का हिस्सा हुआ करती थी लेकिन पिछले कुछ सालों में उसी खाड़ी में मिट्टी, मलबा डालकर पहले उसे रिक्लेम किया गया और फिर उस पर स्ट्रक्चर खड़े किए जाने लगे. 




RTI एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता इफ्तेकार शाह को आरटीआई के तहत चौंकाने वाली जानकारी मिली है. शाह के के मुताबिक अकेले वर्सोवा इलाके में बीएमसी अब तक 180 से ज्यादा अवैध इमारतों को स्टॉप वर्क नोटिस देने की खानापूर्ति कर चुकी है लेकिन इन अवैध इमारतों के खिलाफ दो दर्जन से ज्यादा शिकायत मिलने के बावजूद प्रशासन के कानों पर अब तक जूं तक नहीं चली. इस इलाके में कलेक्टर ऑफिस के अलावा बीएमसी अधिकारियों, रिमूवल ऑफ इंक्रोचमेंट विभाग, दमकल विभाग और स्थानीय पुलिस के साथ सांठ-गांठ कर सरकारी जमीन पर चार से पांच मंजिला इमारत खड़ी करना कोई मुश्किल काम नहीं है.




इफ्तेकार शाह ने बताया कि चूंकि नियमों के मुताबिक कलेक्टर लैंड पर किसी भी तरह के कोई निर्माण कार्य को मंजूरी नहीं होती. इसलिए इस जमीन पर बने अवैध इमारतों की खरीद फरोख्त में ना कोई स्टैंप ड्यूटी अदा की जाती है ना कोई रजिस्ट्रेशन, मात्र 500 रुपये के एक स्टैंप पेपर पर ही पूरी डील की जाती है. साल 2001, साल 2010 और साल 2021 के तीन अलग-अलग गूगल मैप की तस्वीरों में भी इस बात का खुलासा हुआ कि कैसे यहां के ग्रीन जोन पर पिछले कुछ सालों में लैंड माफिया ने धीरे-धीरे कब्जा करने से लेकर कंक्रीट के जंगल खड़े किए गए.




इस मामले में हमने बीएमसी का पक्ष भी जानना चाहा लेकिन के वेस्ट वार्ड के असिस्टेंट कमिश्नर विश्वास मोटे की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी. हालांकि बड़ा सवाल सिर्फ मुंबई के किसी एक इलाके का नहीं बल्कि शहर के बाकी कई हिस्सों में भी ऐसे ही भ्रष्टाचार के चलते जहां लैंड माफिया मस्त हैं वहां प्रशासन उनके सामने पस्त है.



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