कोरोना ने तोड़ी 'लालबाग के राजा' की प्रथा, 87 साल बाद नहीं विराजमान होंगे 'गणपति'
महाराष्ट्र में जानलेवा कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इस साल मुंबई के लालबाग में गणपति उत्सव नहीं मनाया जाएगा. गणेशोत्सव की जगह इस साल यहां आरोग्य उत्सव का आयोजन होगा जिसमें ब्लड डोनेशन और प्लाजमा डोनेशन कैंप 11 दिनों के लिए लगाए जाएंगे.
मुम्बई: महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते संक्रमण मामलो को देखते हुए इस बार गणेशउत्सव के दौरान मुम्बई का मशहूर गणेश पंडाल 'लालबाग के राजा गणेश मूर्ति' की स्थापना नहीं होगी. 87 साल बाद पहली बार ऐसा हो रहा है जब यह प्रथा टूटती नजर आएगी. महाराष्ट्र के सबसे बड़े पर्व गणेशोत्सव के दौरान महाराष्ट्र के कोने -कोने में छोटी-बड़ी गणेश मूर्तियों की स्थापना की जाती है. बड़े गणेश पंडालों में मुम्बई के लालबाग इलाके में स्थापित होने वाले लालबाग के राजा पूरी दुनिया भर में मशहूर हैं. कोरोना संकटकाल को देखते हुए इस बार लालबाग राजा के आयोजक लालबाग राजा सर्वजनिक गणेशोत्सव मंडल ने गणेशउत्सव नहीं मनाने का ऐतिहासिक फैसला किया है.
11 दिनों के लिए लगाए जाएंगे ब्लड डोनेशन और प्लाजमा डोनेशन कैंप
लालबाग राजा सार्वजनिक गणेश उत्सव मंडल अध्यक्ष सुधीर सालवी ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा की, ''समाज , देश और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गणेशउत्सव की जगह आरोग्य उत्सव का आयोजन होगा. इसमें ब्लड डोनेशन कैंप और प्लाजमा डोनेशन कैंप 11 दिनों के लिए लगाए जाएंगे. BMC के साथ मिलकर प्लाज़्मा डोनेट कार्यक्रम होगा. मंडल द्वारा कोरोना की लड़ाई में शहीद पुलिस कर्मी के परिवार, गलवान घाटी और पुलवामा के शहीदों के परिजनों का भी सम्मान किया जाएगा. लालबाग राजा गणेशोत्सव मंडल द्वारा सीएम उद्धव ठाकरे को तत्काल 25 लाख की मदद राशि दी जाएगी.''
लाल बाग के राजा की स्थापना सन 1934 में पहली बार हुई थी लालबाग इलाके में रहने वाले मछुआरों के समाज द्वारा इस लालबाग के राजा गणेश उत्सव की शुरुआत की गई थी. दरअसल सन 1932 में लालबाग इलाके में मार्केट बंद करने की नौबत आ गई थी लेकिन इन मछुआरों और स्थानीय व्यापारियों ने गणपति बप्पा की पूजा कर फिर से बाजार के खुशहाल होने की कामना की और कुछ समय बाद प्रशासन से इजाजत मिलने के बाद बाजार फिर से लगने लगा और बाजार आबाद होने लगा. सन 1934 से लेकर साल 2019 तक भव्य गणेश मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और 11 दिनों तक पूजा-अर्चना होती है. लगभग 20 साल पहले लालबाग के राजा की मूर्ति पेटेंट कराई गई है यानी मूर्ति में किसी प्रकार का बदलाव नहीं होता है.
सुधीर सालवी ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा, ''महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गणेश उत्सव मंडलों से इस बार गणेश उत्सव आयोजन रद्द करने या छोटी मूर्ति लाकर छोटे पैमाने पर उत्सव मनाने का निवेदन किया था. हालांकि लालबाग के राजा इतने मशहूर हैं कि यदि छोटी मूर्ति भी स्थापित की जाती है तो भी लाखों की भीड़ जमा हो सकती है इसलिए इस बार का गणेश उत्सव आयोजन रद्द किया गया है.''
लाल बाग के राजा के दर्शन के लिए देश और दुनिया से श्रद्धालु आते हैं. आम लोग हो या फिर बॉलीवुड, बिजनेस या राजनीति के क्षेत्र से जुड़े लोग हो, सभी गणपति बप्पा के दर्शन के लिए आतुर रहते हैं. लाल बाग के राजा के मुख दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को जहां 4 से 5 घंटे कतार में खड़े रहना पड़ता है वही चरण दर्शन या मन्नत की दर्शन के लिए 24 से 30 घंटे कतार में खड़े रहना पड़ता है. गणेशोत्सव के अलावा अन्य दिनों में मूर्ति की जगह सड़क पर प्रतीक स्वरूप पाहन रखा जाता है, स्थानीय लोग यहा पूजा करते हैं.
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