Mumbai News: स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए धन जुटाने के लिए क्राउडफंडिंग का रास्ता अपनाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन एक अकेला व्यक्ति बच्चे के इलाज के लिए 11 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दे रहा है और गुमनाम रहना चाहता है, यह चौंकाने वाला है. ऐसा हुआ है मुंबई में रहने वाले सारंग मेनन और अदिति नायर के साथ. सारंग मेनन और अदिति को इस साल जनवरी में अपने 15 महीने के इकलौते बेटे निर्वाण को एसएमए नामक एक दुर्लभ बीमारी का पता चला था. बीमारी का इलाज इतना महंगा था कि दोनों ने इसके लिए क्राउडफंडिंग करने का फैसला किया.
जानकारी के मुताबिक नोवार्टिस निर्मित जोलगेन्स्मा की एक खुराक दवा की लागत लगभग 17.5 करोड़ रु है. यह दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में जानी जाती है. इस दवा को ऑर्डर देने के बाद भारत पहुंचने में करीब 20 दिन लगते हैं. निर्वाण के माता-पिता कुछ हफ्ते पहले एक इलाज के लिए क्राउडफंडिंग शुरू किया था. जिसमें सोमवार 20 फरवरी को किसी गुमनाम से उनके अकाउंट में $1.4 मिलियन (लगभग 11 करोड़ रुपये) का दान दिया. इस बात की जानकारी सारंग ने अपने फेसबुक पेज पर दी.
'दुनिया में अभी भी मौजूद है मानवता'
सारंग ने अपने फेसबुक पेज Nirvaan_Fights_SMA पर एक पोस्ट करते हुए कहा कि मानवता अभी भी मौजूद है. दुनिया के किसी कोने में बैठे किसी व्यक्ति के लिए हमारे बच्चे के लिए ऐसा करना, यह व्यक्ति कोई भी हो हमारे लिए भगवान के समान है. उन्होंने कहा कि जब से हमने क्राउडफंडिंग खाते खोले हैं, मैं उन्हें रोज चेक करता था. 19 फरवरी तक हमें करीब 5.5 करोड़ रुपये मिल चुके थे, लेकिन जब 20 फरवरी को मैंने जब खाता चेक किया था तो उसमें पैसों में बढ़ोतरी देखी. सारंग ने कहा कि मैंने ऑपरेटर से इस बात की जांच करवाई की यह कोई तकनीकी खराबी है क्या? लेकिन उन्होंने मुझे बताया कि किसी ने वास्तव में इतने पैसों का दान किया है. सारंग ने कहा कि हम बहुत खुश हैं.
'किसने दान किए हैं पैसे हम नहीं जानते'
निर्वाण के पिता सारंग ने कहा कि हम नहीं जानते कि पैसे किसने दान किए हैं, यह हमारे लिए चमत्कार जैसा है. उन्होंने कहा कि जब हमने मिलाप संगठन से संपर्क किया कि इतनी बड़ी राशि किसने दान किया है तो उन्होंने बताया कि डोनर अपना नाम उजागर नहीं करना चाहता है. जिसके कारण उन्होंने हमें नाम नहीं बताया. जानकारी के मुताबिक एसएमए बीमारी में शरीर कमजोर होने लगता है और ये बढ़ने की गति को कम कर देता है. इसके अलावा यह बीमारी के कारण सांस लेने,खाना खाने में भी बहुत दिक्कत होती है. ऐसे में अगर इसका सही समय में इलाज न हो तो इंसान की मृत्यु तक हो जाती है.
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