मानहानि मामले में कोर्ट ने कहा- “कंगना रनौत मशहूर हस्ती हो सकती हैं, लेकिन...''
जावेद अख्तर ने नवंबर 2020 में अदालत में शिकायत दायर की थी, जिसमें दावा किया गया कि रनौत ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में उनके खिलाफ मानहानिकारक बयान दिए थे, जिससे उनकी प्रतिष्ठा कथित तौर पर धूमिल हुई थी.
मुंबई: मुंबई की एक स्थानीय अदालत ने बॉलीवुड गीतकार जावेद अख्तर द्वारा दायर एक मानहानि शिकायत में अभिनेत्री कंगना रनौत को पेशी से स्थायी छूट देने से इनकार करते हुए कहा है कि वह एक मशहूर हस्ती हो सकती हैं, जिनके पास पेशेगत कार्य हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह एक मामले में आरोपी हैं.
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आर आर खान ने मंगलवार को रनौत की उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपनी पेशेगत प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए पेशी से स्थायी छूट का अनुरोध किया था. विस्तृत आदेश गुरुवार को उपलब्ध हुआ.
“नियमों और शर्तों का पालन करना होगा”
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘आरोपी इस मामले की सुनवाई के लिए अपनी शर्तों को अपनी पसंद के अनुसार तय कर रहा है. आरोपी अधिकार के रूप में स्थायी छूट का दावा नहीं कर सकता. आरोपी को कानून की स्थापित प्रक्रिया और उसकी जमानत बांड के नियमों और शर्तों का पालन करना होगा.’’
मजिस्ट्रेट खान ने कहा कि आज तक, अदालत ने बिना कोई जुर्माना लगाए उन तारीखों (जैसा कि उन्होंने पिछली सुनवाई के लिए मांगी थी) के लिए छूट की उनकी याचिकाओं को मंजूरी दी है. आदेश में कहा गया है, ‘‘आज तक आरोपी उसके ऊपर लगे आरोपों की सुनवाई में अदालत का सहयोग करने के इरादे से पेश नहीं हुआ है.’’
अख्तर ने नवंबर 2020 में अदालत में शिकायत दायर की थी, जिसमें दावा किया गया कि रनौत ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में उनके खिलाफ मानहानिकारक बयान दिए थे, जिससे उनकी प्रतिष्ठा कथित तौर पर धूमिल हुई थी.
रनौत ने यह कहते हुए पेश से स्थायी छूट का अनुरोध किया कि वह हिंदी फिल्म उद्योग की शीर्ष अभिनेत्रियों में से एक हैं और उन्हें पेशेगत प्रतिबद्धताओं के लिए देश के विभिन्न हिस्सों और अंतरराष्ट्रीय स्थानों की यात्रा करनी होती है.
“वह (रनौत) इस मामले में एक आरोपी है”
अदालत ने, हालांकि, उनकी अर्जी को खारिज कर दिया और कहा, ‘‘निस्संदेह, एक सेलिब्रिटी (मशहूर हस्ती) होने के नाते, आरोपी (रनौत) अपने पेशेवर काम कर रही है, लेकिन वह यह नहीं भूल सकती कि वह इस मामले में एक आरोपी है.’’ अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘मुकदमे की निष्पक्ष प्रगति के लिए, मामले में उनका सहयोग आवश्यक है. यहां यह उल्लेख करना उचित है कि आरोपी ने अपना मन बना लिया है कि इस मामले में उसकी उपस्थिति आवश्यक नहीं है और उसके वकील कानूनी औपचारिकताओं को देखेंगे.’’
अदालत ने कहा कि अगर आरोपी को इस समय स्थायी रूप से छूट दी जाती है, तो शिकायतकर्ता, एक वरिष्ठ नागरिक, गंभीर रूप से पूर्वाग्रह से ग्रस्त होगा और मुकदमे में कोई प्रगति नहीं होगी. अख्तर के वकील ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि रनौत अदालत के प्रति लापरवाह रवैया दिखा रही हैं.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामला मानहानि के अपराध के लिए था, जिसमें शिकायतकर्ता (अख्तर) एक वरिष्ठ नागरिक हैं और अपराध का विवरण अभी तक तैयार नहीं किया गया है. अदालत ने कहा कि रनौत ने अतीत में प्रक्रिया जारी करने और मामले को दूसरी अदालत में स्थानांतरित करने के संबंध में अदालत के पहले के आदेशों को चुनौती देने के कई असफल प्रयास किए.
अख्तर और रनौत ने एक-दूसरे पर लगाए ये आरोप
अपनी शिकायत में, अख्तर ने दावा किया कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत द्वारा कथित आत्महत्या के बाद, बॉलीवुड में मौजूद एक ‘मंडली’ का जिक्र करते हुए रनौत ने एक इंटरव्यू के दौरान उनका नाम घसीटा था.
रनौत ने बाद में अख्तर के खिलाफ कथित "जबरन वसूली और आपराधिक धमकी" के लिए उसी अदालत में एक जवाबी शिकायत दर्ज की थी. अभिनेत्री ने अख्तर के खिलाफ अपनी शिकायत में कहा कि उनके सह-कलाकार के साथ सार्वजनिक विवाद के बाद, गीतकार ने उन्हें और उनकी बहन रंगोली चंदेल को ‘‘दुर्भावनापूर्ण इरादों और गुप्त उद्देश्यों के साथ अपने घर बुलाया और फिर उन्हें आपराधिक रूप से धमकाया और धमकी दी.’’
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