Mumbai Crime: म्यांमार में चल रहे विद्रोह से देश की आर्थिक हालत खराब है. सिविल सेवकों, निजी क्षेत्र के श्रमिकों सहित लाखों लोग, म्यांमार के सविनय अवज्ञा विरोधी तख्तापलट आंदोलन में शामिल हो गए हैं. सेना के नियंत्रण के एक साल बाद म्यांमार एक ‘बहुआयामी मानवीय संकट’ का सामना कर रहा है. इन समस्याओं को देखते हुए ‘ये मिन एमएच अली मोहम्मद’ नाम के व्यापारी ने भारत आकर अपने कीमती पत्थरों का व्यापार करने की सोची पर उसे क्या पता था कि पहले से परेशान चल रहे मोहम्मद को भारत में भी ठगों का सामना करना पड़ेगा.
जो उसे मदद के नाम पर उसकी 5 करोड़ रुपए कीमत की पुश्तैनी माणिक ही चुरा लेंगे. मुंबई पुलिस के जोन 2 के DCP सौरभ त्रिपाठी ने बताया की 1 फरवरी को DB मार्ग पुलिस को मोहम्मद ने शिकायत की और बताया की उसके साथ कुछ लोगों ने धोखाधड़ी की है और उसका 5 करोड़ रुपए कीमत की माणिक नाम का पत्थर चुरा लिया है.
पुलिस ने चार टीमें बनाकर आरोपियों को किया गिरफ्तार
इस शिकायत के मिलते ही पुलिस ने 4 टीमें बनाईं और आरोपियों की तलाश शुरू कर दी. मुंबई पुलिस ने कुछ ह्यूमन इंटेलिजेंस और कुछ टेकनिकल सहायता का सहारा लेकर 5 घंटों के भीतर ही चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार आरोपियों के नाम सुरेश भाई बोराड (इसके खिलाफ सूरत में भी एक मामला दर्ज है ) खेताराम देवासी, विंकल शाह (इसके खिलाफ 2 मामले दर्ज है) और प्रवीण उर्फ पप्पू जैन (इसके खिलाफ 7 मामले दर्ज है).
व्यापारी ने पुलिस को बताया की उसके देश की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते वो कलकत्ता आया और वहां पर उसने अपना खुद का ऑफिस लिया. उसे हीरे के व्यापार में अपना भविष्य देखना था इस वजह से वो देश में कई जगह जाकर लोगों से मिल रहा था.
जयपुर की प्रदर्शनी में हुई थी व्यापारी की आरोपियों से मुलाकात
8 महीने पहले जब वह जयपुर की एक प्रदर्शनी में गया में गया था तब उसकी मुलाकात वहां प्रवीण से हुई थी. इसके बाद से वो प्रवीण से सोशल मीडिया के जरिये संपर्क में था. जहां पर प्रवीण ने उसे कहा कि वो उसके 5 करोड़ की कीमत के माणिक (रूबी) के बदले मुंबई में हीरे दिलाएगा और उसने इसे मुंबई बुलाया.
मुंबई आने के बाद उसे ये पंचरत्न इमारत के पास लेकर गए जहाँ पर उससे डील की गई और प्रवीण समेत दूसरे आरोपियों ने उसका ध्यान भटका कर रखा. इन लोगों ने उसे माणिक एक लिफाफे में रखने को कहा उसके बाद उन्होंने उस लिफाफे को सील कर दिया.
पीड़ित के परदादा के समय का था माणिक
इसके बाद आरोपियों ने उसे एक दूसरे लिफाफे में हीरे को सील कर दिया. उसके बाद आरोपियों ने कहा कि आप इन हीरो की जांच करने के बाद माणिक उन लोगों को दे देना. इस दौरान आरोपियों ने उसे बातचीत में लगातार उलझाकर रखा और मौका देखते ही उसका माणिक वाला लिफाफा हाथ की सफाई से अपने पास ले लिया और उसे दूसरा लिफाफा दे दिया जिसमें नकली माणिक था.
व्यापारी जब वापस गया तो उसने देखा की ये नक़ली माणिक है इसके बाद उसने प्रवीण को सम्पर्क करने की कोशिश की पर उसने जब जवाब नही दिया तो उसे समझ में आ गया की ये लोग ठग हैं और उसने तुरंत पुलिस को इस बात की जानकारी दी. मोहम्मद ने पुलिस को बताया की यह माणिक का पत्थर उसके परदादा के समय का है और यह उसका पुश्तैनी व्यापार है वो पत्थर छूकर बता सकता है की वो असली है या नकली.
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