मुंबई: मुंबई पुलिस की सायबर सेल ने 6 लोगों को बैंगलुरू, रत्नागिरी और बिहार के पटना से गिरफ्तार किया है. पुलिस की मानें तो यह आरोपी बड़ी नामी कंपनियों के फर्जी वेबसाइट्स बनाते थे और लोगों को ठगा करते थे. गिरफ्तार आरोपियों में से एक तो इंजीनियर है जिसे इस पूरे खेल का मास्टर माइंड बताया जा रहा है.


कैसे बनाते थे ये वेबसाइट्स


मुंबई क्राइम ब्रांच के जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस मिलिंद भराम्बे ने बताया कि ये आरोपी बड़े ही प्रोफेशनल हैं. ये लोग पहले इंटरनेट पर रिसर्च करते हैं और फिर जिस चीज़ की ज्यादा डिमांड इन्हें इनके सर्वे में दिखती है ये उससे संबंधित वेबसाइट्स बनाकर लोगों को ठगना शुरू कर देते हैं. जांच के दौरान पुलिस को पता इन लोगों ने अबतक 125 वेबसाइट्स बनाई हैं जिनके माध्यम से वे पूरे भारत भर में लोगों को ठगते थे.


लोगों को कैसे फसाते थे?


आज की तारीख में हर किसी के हाथ मे स्मार्टफोन है और हर कोई सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट खोल कर रखा है. ये आरोपी पैसे देकर सोशल साइट्स पर अपने फेक वेबसाइट्स का प्रचार करते हैं जिसमें लुभावने ऑफर दिए जाते हैं और जैसे ही कोई इस लिंक पर क्लिक करता है वह लिंक उसे फेक वेबसाइट पर ले जाती है जो कि हूबहू असली वेबसाइट की तरह दिखाई देती है.


भराम्बे ने बताया कि उनके पास एक शिकायत आई थी जिसे गैस एजेंसी देने का लालच देकर उससे 3 लाख 66 हजार रुपये सायबर क्रिमिनल्स ने लूट लिए थे. इसके बाद से ही पुलिस ने जांच शुरू की और 6 आरोपियों को देश के अलग अलग हिस्सों से गिरफ्तार कर लिया.


27 साल का इंजीनियर 125 वेबसाइट्स के पीछे का मास्टरमाइंड


जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि जितने भी सायबर क्रिमिनल्स है उन्हें जब भी कोई नकली वेबसाइट्स बनानी होती थी वे लोग 27 साल की इंजीनियर की मदत लेते थे, जिसके बदले इसे मोटी रकम भी दी जाती थी. इस आरोपी ने अब तक 125 नकली वेबसाइट्स बनाई है जिसका इस्तेमाल कर सायबर क्रिमिनल्स ने एक लाख से ज्यादा लोगों को ठगा है. पुलिस ने बताया की उन्होंने अबतक 125 में से सिर्फ 2 वेबसाइट्स की जांच बराबर से की है और इस दो वेबसाइट्स का इस्तेमाल कर इनलोगों ने 10,531 लोगों से 10 करोड़ 13 लाख रुपये की ठगी की है.


पुलिस की अपील


भराम्बे में जिन कंपनियों की वेबसाइट नकली बनाई गई है उन कंपनियों से अपील की है कि वे लोग भी अपने आईटी टीम को नेट पर उनके नाम का किसी ने नकली वेबपेज बनाया तो नहीं इसकी जांच करते रहने चाहिए और अगर उन्हें ऐसा कुछ दिखता है तो इस बात की सूचना हमें देनी चाहिए. इससे कई लोगों की मेहनत की कमाई किसी सायबर क्रिमिनल के हाथों में नहीं जाएगी.


विक्टिम ने क्या कहा?


55 वर्षीय अरुण कुमार सिन्हा जो कि मुंबई के गोरेगांव इलाके में रहते हैं, एबीपी से बातचीत में उन्होंने बताया कि फेसबुक देखने के दौरान उन्हें एक एडवर्टाइस दिखाई दिया जिसमें गैस एजेंसी देने की बात कही जा रही थी इसे पढ़ने के बाद जब उसने उस लिंक पर क्लिक किया तो वह एलपीजी की नकली वेबसाइट पर ले गयी जो कि हूबहू उसकी असली वेबसाइट की तरह थी. इसके बाद उनलोगों ने सिन्हा से फॉर्म भरने कहा और थोड़े थोड़े करके इनसे 3 लाख 66 हजार रुपये ले लिए. उनलोगों ने इन्हें नकली अप्रूवल लेटर भी भेजा.


आरोपियों ने इन्हें बताया कि उन्हें गैस एजेंसी का सेटअप करने के लिए सरकार की तरफ से 30 लाख का लोन भी मिलेगा कुछ दिनों बाद जब उनके जवाब आने बंद हो गए, तब इन्होंने उस अप्रूवल लेटर पर लिखे मुंबई के बांद्रा इलाके में गया तब उसे पता चला यहा तो एलपीजी को ऑफिस ही नहीं है. सिन्हा ने बताया उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों से उधार लेकर पैसे इन्वेस्ट किये थे और इस फ्राड का शिकार हो गए.


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