मुंबई साइबर सेल ने गृह मंत्रालय से मांगे फोन टैपिंग से जुड़े दस्तावेज और पेन ड्राइव, जानें क्यों लगाई कोर्ट में गुहार?
मुंबई साइबर सेल की गुहार के बाद क़िला कोर्ट ने नोटिस जारी कर 22 अक्टूबर को गृह मंत्रालय से अपना पक्ष रखने को कहा है.
Phone Tapping: मुंबई साइबर सेल ने फोन टैपिंग से जुड़े दस्तावेज और पेन ड्राइव मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर से मांगे हैं. साइबर सेल ने इसके लिए कोर्ट से गुहार लगाई है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने फोन टैपिंग से जुड़े दस्तावेज और पेनड्राइव होम मिनिस्ट्री को सौंपे थे. उन दस्तावेजों की मांग कर रही मुंबई क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने कोर्ट से इस बारे गुजारिश की है. मुंबई साइबर सेल की गुहार के बाद क़िला कोर्ट ने नोटिस जारी कर 22 अक्टूबर को मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर से अपना पक्ष रखने को कहा है.
वरिष्ठ सरकारी वकील अजय मिसार ने एबीपी न्यूज़ को जानकारी दी कि “हमने MHA से जांच के किए लगने वाले डॉक्यूमेंट हासिल करने के लिए कोर्ट में CRPC की धारा 91 के तहत अर्ज़ी दी. जिसके बाद कोर्ट ने MHA को नोटिस जारी किया है कि वे 22 अक्टूबर को कोर्ट में अपना पक्ष रखे”
बता दें कि देवेंद्र फडणवीस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान फ़ोन टैपिंग से जुड़े दस्तावेज के बारे में बताया था जो की कॉनफ़िडेंशियल थी. इसके बाद दस्तावेज लीक को लेकर मुंबई पुलिस की सायबर सेल ने अज्ञात शख़्स के ख़िलाफ़ इंडियन टेलिग्राफ एक्ट 1855 की धारा 30; इंफ़ोरमेशन टेक्नोलोजी एक्ट 2008 की धारा 44 (B), 66 और ऑफ़िशियल सीक्रेट एक्ट 1923 की धारा 5 के तहत मामला दर्ज किया था.
फडणवीस ने तब कहा था कि उनके पास एक पेन ड्राइव भी है जिसमें 6.3 GB डेटा है. ये डेटा कथित तौर से पुलिस अधिकारी और नेताओं के करीबी रिश्तेदारों की फ़ोन कॉल इंटेरसेप्ट थी जिसे उस समय की स्टेट इंटेलिजेंस विभाग की चीफ़ रश्मि शुक्ला ने तैयार की थी. सूत्रों ने बताया कि पिछले छह महीने से मुंबई पुलिस गृहमंत्रालय से उन दस्तावेज की मांग कर रही है ताकि इस जांच को आगे बढ़ा सके पर MHA की तरफ़ से कोई सहायता नहीं मिलने की वजह से पुलिस को कोर्ट जाना पड़ा.
बता दें कि महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ CBI ने वसूली के आरोपों के बाद मामला दर्ज किया था. उसी FIR में उनपर कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग को लेकर अनुचित तरीकों से प्रभावित करने का भी आरोप लगा था.
इस मामले की जांच के दौरान CBI ने मुंबई पुलिस से फ़ोन टैपिंग से जुड़ी जानकारी मांगी थी जिसने रश्मि शुक्ला द्वारा बनाई ट्रांसफ़र और पोस्टिंग में करप्शन से जुड़ी रिपोर्ट और डॉक्यूमेंट की सर्टिफ़ाइड कॉपी की भी मांग की थी पहले तो महाराष्ट्र पुलिस ने इसे देने से मना किया था पर बाद में हाईकोर्ट के आदेश के बाद दिया गया था.