मुंबई: सरकार से अनुमति मिलने के बावजूद मॉल मालिकों ने जड़ा ताला, जानें क्या है वजह
मुंबई में सरकार ने मॉल खोलने की अनुमति दे दी है लेकिन इसके बावजूद सभी मॉल्स ने खुद ही अपने शटर गिरा दिए हैं. आइये जानते हैं इसके पीछे की वजह.
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मुंबई में सरकार ने 15 अगस्त से मॉल खोलने की अनुमति दे दी है. 2 दिन मॉल खुलने के बाद अब सारे मॉलों ने खुद ही अपने शटर गिरा दिया है. हजारों करोड़ का लॉस अब तक मॉल और संस्थाओं को हो चुका है.
महाराष्ट्र सरकार ने नियम बनाया कि 15 अगस्त से सारे शॉपिंग मॉल मुंबई में खोले जा सकते हैं. शर्त यह रखी गई कि जो भी मॉल में आएगा उसको दोनों वैक्सीन की डोज लेने का सर्टिफिकेट रखना होगा. इसके अलावा मॉल में काम करने वाले कर्मचारियों को भी कोविड के दोनों टीके लगे होने चाहिए. उसके बाद मुंबई के मुंसिपल कमिश्नर ने नोटिस निकाला की एक भी डोज लगा है तो भी कर्मचारी काम कर सकते हैं.
दोनों डोज पर ही कर्मचारी मॉल में काम कर सकते हैं
वहीं, फिर 16 अगस्त को चीफ सेक्रेटरी ने अपने ऑफिस से स्पष्ट निर्देश दे दिया कि बिना दोनों डोज के बाद ही कर्मचारी मॉल में काम कर सकते हैं. अगस्त को अपने मॉल के शटर उठाने के बाद नए नियम जानकर मॉल के मालिकों ने मुंबई में अपने सारे मॉल बंद कर दिए. चाहे इंफिनिटी हो इनॉर्बिट हो ओबरॉय हो फिनिक्स सारे मॉल बंद है. मॉल के मालिक पिछले 18 महीने में कोविड की एंट्री के बाद से अब तक 9 महीने मॉल बंद कर रख चुके हैं. हजारों करोड़ का घाटा हो चुका है और सरकार को भी करोड़ों के राजस्व की क्षति हुई है.
मॉल मालिकों की सरकार से मांग है कि नियमों में रियायत दी जाए. कम से कम ऐसे हालात बनाई जाए जहां पर वैक्सीन का एक डोज लिए हुए कर्मचारी आ सके. वैक्सीन के दोनों डोज़ के बीच समय का जितना अंतराल है आम लोगों में वैक्सीन में जो समय लगता है उसके आधार पर बड़ी मुश्किल है. मॉल में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी 18 से 44 साल की उम्र के हैं.
जुलाई के बाद वैक्सीन सबको उपलब्ध हुई है और अभी भी बाजार में खरीदने पर वैक्सीन मिल नहीं रही. उपलब्धता बड़ी मुश्किल है. ऐसे में वैक्सीन के इतने जटिल नियम बनाना और उन को लागू कराना बहुत मुश्किल है. मॉल के व्यवसाय के आर्थिक हालात खराब है और अगर इजाजत नहीं दी गई तो सड़क पर आने की हालत बन जाएंगे.
मजबूरी में मॉल बंद किया है- मॉल के डॉयरेक्टर
एक मॉल के डॉयरेक्टर मुकेश कुमार ने कहा कि, मजबूरी में मॉल बंद किया है. हमें नोटिफिकेशन आया मॉल खोलने का परमिशन मिली थी लेकिन उसमें कंडीशन डाली थी जिसे मानना मुश्किल था. कह रहे थे कि सारे कर्मचारियों को डबल वैक्सीन होना जरूरी है. वह तो संभव ही नहीं है. 15 को दूसरा स्टेटमेंट है कि इसमें रियायत रहेगी अगर एक डोज है तो काम चल सकता है हमें लगा ठीक है हो जाएगा.16 की शाम को नोटिफिकेशन आया चीफ सेक्रेटरी का कि पहले जो नियम तब्बू वैक्सीनेशन का उसके बिना नहीं चलेगा.
उन्होंने आगे बताया कि, सरकार को समय देना चाहिए था वैक्सीन कराने का. हम चाहते हैं डोज लगवाना लेकिन वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. कर्मचारी 18 से 44 के बीच में खोलना भी चाहे तो खोल नहीं सकता तो ये परमिशन किसी काम की नहीं है.
चीफ सेक्रेटरी को रिप्रेजेंटेशन ने कहा कि हम सारे प्रोटोकॉल फॉलो करते हैं. हम मानते हैं 2 दिन मॉल खोलो. जो लोग आते हैं उनकी वैक्सीन का कागज देखा जिनका एक ही था उनको वापस भेज दिया. अच्छा नहीं लगता लेकिन क्या सकते हैं. सरकार से अपील है कि उसको भी अलार्म करें. इतना लंबा समय रुक नहीं सकते. त्योहारी सीजन आ रहा है आर्थिक स्थिति बहुत खराब है पिछले 17 महीने में 9 महीने मॉल बंद थे.
बाकी राज्यों को देखिए सारे स्टेट में मॉल खुले हैं
चीफ सेक्रेटरी को रिप्रेजेंटेशन का कहना है कि हर महीने पॉकेट सारे मॉल महाराष्ट्र के मिलाकर 4000 करोड़ से ज्यादा था. 36000 करोड़ का अब तक 9 महीने की बंदी में घाटा हो चुका है. सरकार को ही 5000 करोड़ की जीएसटी जा चुकी है 200000 कर्मचारी डायरेक्टली काम करते हैं. अगर मॉल चल नहीं रहा है तो इनको कहां से रखेंगे.
सरकार से कोई मदद नहीं मिली. कोई लाइसेंस भी रियायत नहीं मिली. लोन में रियायत नहीं मिल रही है. वैलिडिटी भी नहीं बढ़ाई जा रही है. मोरटोरियम आरबीआई का 31 मार्च को खत्म हो गया. अप्रैल से सारे मॉल लोन पर चल रह हैं यह माय नहीं दे पा रहे हैं इतनी समस्या है कि कुछ कहना मुश्किल है.
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