मुंबई: हम सब जानते हैं कि हरी सब्जियां हमारे स्वास्थ के लिये बेहद लाभकारी होती है. हम प्रयास भी करते हैं की बाजार जाये तो कुछ हरी सब्जियां जरूर लेकर आये जो हमारे खाने को पौष्टिक बनाये साथ में स्वादिष्ट भी.
आम आदमी बाजार में मिलने वाली कुछ ही हरी सब्जियों के बारे में जानता है पहचानता है और खरीदता है लेकिन महाराष्ट्र सरकार के कृषि विभाग ने एक ऐसा प्रयास शुरू किया है जिससे बाजार में करीब 100 प्रकार से ज्यादा की नयी सब्जियां मिल सके जिन्हें आम आदमी न तो पहचानता है और न ही इनके बारे में जानता है.
महाराष्ट्र सरकार आम आदमी तक पहुंचाना चाहती है
दरअसल कृषिविभाग की खोज में पता चला है की बारिश में ऐसी तमाम वनस्पति और पौधे हैं जो अपने आप जंगलो में उग आते हैं जिसे जंगली इलाके में रहने वाले आदिवासी समाज के लोग इसे हरी सब्जियों के रूप में खाते भी हैं और आसपास के बाजार में बेचते भी हैं.
बड़े शहरों तक इन सब्जियों की जानकारी नहीं मिल पाती है और न ही ये सब्जियां वहां के बाजारों तक पहुंच पाती हैं. बिना बोये उग आने वाली करीब 100 प्रकार की इन सब्जियों की प्रजातियों की जानकारी अब महाराष्ट्र सरकार आम आदमी तक पहुंचाना चाहती है और बड़े शहरों के बाजारों में भी इन सब्जियों को पहुंचाना चाहती है.
लोगों को नयी हरी सब्जियां मिल सकेगी
कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बारिश के दिनों में महाराष्ट्र के वन क्षेत्र में पैदा होने वाली इन सब्जियों में बेहद पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं जिनकी जानकारी सबको नहीं इसको बनाने की विधि भी आदिवासियों को ही पता होती है जो वर्षो से इनका इस्तेमाल करते हैं. अगर इन सब्जियों को मुंबई जैसे बाजार में लाया गया तो लोगों को नयी हरी सब्जियां मिल सकेगी साथ में आदिवासी इलाके में रहने वाले लोगों को आर्थिक लाभ भी मिल सकेगा जो उनकी आजिविका का नया साधन बनेगा. इसी लिये महाराष्ट्र सरकार के कृषि विभाग ने इन सब्जियों की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने का प्रयास शुरू किया है.
दरअसल 9 अगस्त को विश्वा आदिवासी दिवस मनाया जाता है. उसी दिन से महाराष्ट्र सरकार के कृषिविभाग ने पूरे महाराष्ट्र में इन सब्जियों की जानकारी देने का उपक्रम शुरू किया है. जिसे नाम दिया गया है वन सब्जी महोत्सव. इसी उपक्रम के तहत पहलीबार मुंबई के मुलुंड इलाके में इन सब्जियों की प्रदर्शनी लगायी गयी जो लोगों को बेहद पसंद आयी जिसकी वजह से कृषि विभाग और इस प्रदर्शनी में महाराष्ट्र के तमाम इलाकों से आये आदिवासी काफी उत्साहित दिखे.
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