मुंबई: मुंबई मेंं कोरोना की वजह से बनी भयावह स्थिति से लोग इतने आहत है कि कोरोनाग्रस्त व्यक्ति के शव को स्वीकार करने उनके परिजन, रिश्तेदार करीबी सामने नहीं आ रहे हैं. मुंबई के केईएम अस्पताल में ऐसे 7 शव पड़े हैं जिनका अंतिम संस्कार करने कोई शख़्स सामने नहीं आया. कुछ ने तो अस्पताल और पुलिस को शवों के दाहसंस्कार करने तक की अनुमति दे दी.
प्रोटोकॉल के मुताबिक़ कोरोना मरीज़ की मृत्यु के आधे घंटे में ही उनके शव को परिजनों के हवाले करके दाहसंस्कार करना जरुरी होता हैं लेकिन मुंबई के अस्पतालों में कोरोना मरीज़ों के शव तीन तीन हफ़्तों से पड़े हैं.
मुंबई की मेयर किशोरी पेडणेकर ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि लोगों का इस सोच से अस्पताल प्रशासन पर काफ़ी दबाव बढ़ जाता है.
केईएम अस्पताल के मुताबिक़ ज़्यादातर मरीज़ों के परिजनों को कोरोना संक्रमण का डर सताता है जिसके चलते वो शव लेने आगे नहीं आते है. वहीं अस्पताल के सामने मुर्दाघर में जगह की समस्या है. केईएम अस्पताल में रोज़ाना 10 कोरोना मरीज़ों का मृत्यु होती है. केईएम अस्पताल में 3 महीने तक शव रखने की क्षमता है. मुर्दाघर में लाशों की कुल 50 रैक है. अगर इस तरह से लावारिस लाशों की संख्या बढ़ती जाएगी तो स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी दबाव पड़ सकता है. इसी वजह से अस्पताल प्रशासन ने बुधवार को मुंबई पुलिस से इन शवों का अतिमसंस्कार करने के लिए कहा.
मुंबई पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी प्रणय अशोक के मुताबिक़, ''अनक्लेमड बॉडी के जिस्म के मार्क और उसकी फोटो हम सभी पुलीस स्टेशन और प्रसार माध्यम को भेजते है. कुछ दिन तक हम उनके परिजनो की राह देखते है. जब कोई सामने नही आता तब हम उस बॉडी को दिसपोज कर देते है.''
मुंबई के अस्पतालों के अंदर की कई तस्वीर आपने देखी होगी जिसमें मरीज़ों को शवों के बीच रहकर इलाज कराना पड़ रहा हैं ये उसी का नतीजा है कि कोरोना से मौत के बाद अपने भी पराए जैसा सलूक करते है.