मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो फर्जी डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल कर बड़े बैंकों से कार लोन लेकर कार खरीदते थे और फिर उस कार को सस्ते दाम पर किसी और को ही बेच देते थे. पुलिस ने अबतक 19 गाड़ियां जब्त की हैं, जिनमें ऑडी, मर्सिडीज़, मिनी कूपर, फोर्ड, टोयोटा, एमजी हेक्टर, हुंडई, जैसी कई गाड़ियां शामिल हैं. पुलिस ने इस मामले में अब तक 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.


क्राइम ब्रांच के डीसीपी प्रकाश जाधव ने बताया कि एक व्यक्ति के घर दो आरसी बुक आई, जबकि उसने कभी कोई कार नहीं खरीदी थी. जिसके बाद उसे याद आया कि एक बार लोन लेने के लिए उसने किसी को अपने डॉक्युमेंट्स दिए थे. फिर उस शख्स ने इस बात की शिकायत पुलिस को की. जिसके बाद पुलिस ने इस बात की जांच शुरू की तो पता चला कि ये एक बड़ा रैकेट है, जो कि फर्जी डॉक्यूमेंट के ज़रिए लोन लेकर कार खरीदते थे.


पुलिस के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों के नाम धरमवीर शर्मा, मृगेश नविधर, साईनाथ गंजी, प्रदीप मौर्या, दिलशाद अंसारी, विजयकुमार वर्मा, सलाम खान बताया जा रहा है.


कैसे करते थे काम ?
इस गिरोह में हर किसी को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई थी, जिसमें से एक आरोपी जो कि बैंक का पूर्व कर्मचारी है, वह होम लोन के लिए दौड़ भाग कर रहे लोगों से कहता था कि उनका सिबिल स्कोर कम है, जिस वजह से उन्हें लोन नहीं मिल पाएगा और फिर सिबिल स्कोर बढ़ाने के लिए कार लोन लेने को कहता था.


जिसके बाद ये लोग लोन के लिए उनसे सारे डॉक्यूमेंट ले लेते थे और फिर इस गिरोह का दूसरा सदस्य उस डॉक्यूमेंट में हेरफेर कर किसी और कि फोटो लगाकर उन डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल कर कार लोन के सहारे महंगी गाड़ियां खरीदता था. इसी गिरोह का तीसरा सदस्य फिर ऐसे लोगों को ढूंढता था, जिसे महंगी गाड़ियों का शौक है, पर वो खरीद नहीं पा रहा है और फिर ये लोग उन गाड़ियों को उन्हें आधी कीमत में बेच देते थे.


किन बैंकों से मिला था लोन ?
प्रकाश जाधव ने बताया कि इन आरोपियों ने फर्जी डॉक्यूमेंट का सहारा लेकर अबतक HDFC, SBI, ICICI, Axis, PNB, डेमलर फ़ायनांसिअल SER इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और एवी स्मॉल फायनैंस बैंक लिमिटेड से लोन लिया है. अब तक के आंकड़ों की मानें तो आरोपियों ने लगभग 5 करोड़ 61 लाख रुपये का लोन लेकर गाड़िया खरीदी हैं.


जब्त किए कई फर्जी दस्तावेज
पुलिस ने जांच के दौरान इनके पास से कई आधार कार्ड, पैनकार्ड, आरसी बुक (यह एक खाली आरसी बुक है, जिसे ये लोग ऐमजॉन से ऑनलाइन खरीदते थे और फिर उसपर किसी का भी नाम लिख कर उसे फंसाते थे), MMRDA का अलॉटमेंट लेटर, फर्जी बैंक स्टेटमेंट्स, और फर्जी आईटी रिटर्न्स.


बैंकों के साथ साथ ऑनलाइन शॉपिंग साइट की भी जांच
प्रकाश जाधव ने बताया कि हम बैंक की कार्यपद्धति की भी जांच करेंगे कि आखिर फर्जी दस्तावेज पर कैसे लोन मंजूर हो गया? क्या कोई बैंक का भी इस गिरोह के लिये काम कर रहा था? साथ ही जो ब्लैंक आरसी कार्ड ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर मिल रहे हैं वो बेचना लीगल है क्या और अगर है तो उसे किस इस्तेमाल के लिए बेचा जाता था.


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