Genome Sequencing Laboratory: मुंबई को पहली जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशाला मिली है. इस जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन के जरिए दो से तीन दिनों के भीतर कोविड-19 के नए वेरिएंट को ट्रैक किया जा सकता है. यह मुंबई के कस्तूरबा अस्पताल में स्थापित एक नई सुविधा है जो कम समय में बड़ी संख्या में नमूनों का विश्लेषण कर सकती है और कोरोना के नए म्यूटेंट की पहचान भी कर सकती है.


जीनोम सीक्वेंसिंग की 2 मशीनें उच्च तकनीक से बनाई गई है. यह कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जा सकेगी. यह मशीन कोरोना के नए वेरिएंट की जांच कर सकती है और नतीजों के बाद नए वेरिएंट की पूरी जानकारी दे सकती है. चार अगस्त को मुख्यमंत्री ने इस प्रयोगशाला का ऑनलाइन उद्घाटन किया था. वहीं आज मुंबई की मेयर इस प्रयोगशाला का दौरा करने पहुंची.


आत्मनिर्भर


मुंबई महानगर पालिका की मेयर किशोरी पेडनेकर ने कहा कि बीएमसी नागरिकों को आरोग्य सुविधा देने के लिए अब पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो चुकी है. वहीं जीनोम सीक्वेंसिंग कि प्रयोगशाला में किए जाने वाले टेस्ट बीएमसी को कोरोना के नये वेरिएंट्स को ट्रैक करने में मदद करेगा. अमेरिका की इलुमिनिया कंपनी ने अलब्राइट स्टोनब्रिज ग्रुप (एएसजी-बोस्टन) के माध्यम से बीएमसी को कुल 6 करोड़ 40 लाख रुपये की दो जीनोम सीक्वेंसिंग संयंत्र दान किए हैं.


कस्तूरबा अस्पताल में स्थित जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशाला की इंचार्ज डॉ. जयंती शास्त्री का कहना है कि यह मशीनें खासकर मुंबई के उन इलाकों के काम आएगी, जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले होंगे. हॉटस्पॉट इलाके में मौजूद लोगों का सेंपल लिए जाएंगे और इस मशीन में एक बेच में 384 नमूने लिए जा सकते हैं. वहीं उसके नतीजे भी 3-4 चार दिनों में आ जाएंगे.



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