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BMC: बीएमसी का दावा -भर दिए मुंबई के 7 हजार गड्ढे, हकीकत कर रही कुछ और ही बयां

BMC And Potholes: बीएमसी (BMC) का दावा है कि उसने एक अप्रैल से 7 जुलाई तक 7 हजार गड्ढे भर दिए हैं, लेकिन दो करोड़ रुपए का ये काम मुंबई सड़कों पर हकीकत में नजर नहीं आ रहा है.

Maharashtra BMC: मुंबई (Mumbai) की बारिश वहां की सड़कों का हाल बयां करने के लिए काफी है. बारिश में सड़कों के ये गड्ढे (Potholes)मुंबई के लोगों के लिए सिरदर्द बनते हैं, लेकिन बीएमसी (BMC) दावा करती है कि उसने तीन महीनों में दो करोड़ रुपए के बजट में सात हजार गड्ढों को भर डाला है. इस दावे की जांच के लिए एबीपी की टीम मुंबई की सड़कों पर हकीकत (Reality Check) जानने के लिए निकली तो तस्वीर कुछ अलग ही नजर आई. अभी भी मायानगरी की सड़कें गड्ढों से पटी पड़ी हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि करोड़ों रुपए का ये बजट गड्ढे कहां निगल गए.

बीएमसी का दावा

गौरतलब है कि बीएमसी (BMC) दावा किया था कि उसने  अप्रैल से 7 जुलाई के बीच सड़को के 7000 हजार गड्डे भरे हैं. इस काम के लिए हर वार्ड को गड्डे भरने के 2 करोड़ रूपए लिए दिए गए थे. एबीपी न्यूज ने बीएमसी के इस दावे की हकीकत जानने के लिए सड़कों पर निकली तो बीएमसी के इन दावों की पोल खुलनी शुरू हो गई.

दहिसर से शुरू हुए एबीपी टीम का रिएलटी चेक  

एबीपी की टीम ने गड्ढों के भरे जाने की सच्चाई जानने के लिए मुंबई के बॉर्डर दहिसर (Dahisar) इलाके से अपनी जांच शुरू की. यहां का नजारा कुछ ऐसा रहा. इस इलाके में गड्ढों के बीच से गाड़ियां गुजरती नजर आई. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर मौजूद इन गड्ढों की वजह से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यहां पर इन गड्ढों को भरने में बस खानापूर्ति नजर आई. यहां इन्हें ईंटों से भरा जा रहा है. गड्ढों भरने वालों ने बातचीत में बताया कि ये हमारा काम नहीं हैं, लेकिन लोगो को दिक्कत हो रही है इसलिए भर रहे हैं.

लोगों ने भी की तकलीफ बयां

इस रास्ते से गुजर रहे कुछ लोगों ने भी एबीपी से अपनी तकलीफ साझा की. सड़क पर वीआईपी लिखी एक कार रूकी जो आरपीआई पार्टी के नेता की थी. ये नेता बीएमसी से खासे परेशान नजर आए. उन्होंने बीएमसी की पोल खोलने में तनिक देर नहीं लगाई. उन्होंने कहा कि ठेकेदार गड्ढों को भरने के नाम पर लूट मचा रहे हैं.

यहां धंसा मिला रोड का हिस्सा

मुंबई के बोरीवली नेशनल पार्क के ठीक सामने तो सड़क बेहद खस्ता हाल है. यहां रोड का एक बड़ा हिस्सा ही धंसता नजर आ रहा है. खुदा न खास्ता अगर ये रोड धंसती है तो यहां से गुजरने वाली बड़ी-बड़ी गाड़ियों के हादसों का शिकार होने से इंकार नहीं किया जा सकता है. उधर इस खतरे से बेखबर प्रशासन चैन की बंशी बजा रहा है.

इसी तरह कांदीवली इलाके में भी यही नजारा दिखाई पड़ा. यहां बहुमंजिला इमारतों के बीच रोड के बड़े-बड़े गड्ढे किसी भी वक्त हो सकने वाले हादसों को निमंत्रण देखते दिख रहे हैं. दहिसर से अंधेरी तक करीब 20 किलोमीटर के रास्ते में सैकड़ों गड्ढे देखे गए. सबसे बदहाल हालत में अंधेरी के एमआईडीसी इलाके की सड़क है. यहां चंद कदम चलने पर ही गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं. सड़क इस बुरी तरह उधड़ी पड़ी है कि इसमें लगा कंकरीट आसानी से हाथ से उठाया जा सकता है. बगैर डामर की यह सड़क ठेकेदारों के काम की पोल खोलने के लिए काफी है.

बीएमसी का सड़कों का आकंडा

मुंबई महानगर पालिका के मुताबिक उसके पास 2 हजार 05 किलोमीटर लंबी सड़के हैं. जिसमें से 1255 किलोमीटर डामर तो  800 किलोमीटर कंक्रीट वाली  वाली सड़कें हैं. बकौल बीएमसी इन सड़कों पर होने वाले गड्ढों को भरने के लिये हर वार्ड को 2 करोड़ की रकम दी गयी थी. इस रकम से 1 अप्रैल से 7 जुलाई तक 7 हजार 211 गड्डे भरे गए. भरे गए गड्ढों का क्षेत्रफल 12 हजार 695 था. बीएमसी ने भले ही मुंबई की सड़कों के गड्ढों को भरने का आकंड़ा कागज पर सटीक लिख दिया हो, लेकिन ये आंकड़ा हकीकत में झूठ की कहानी कह रहा है. 

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