Mumbai Hoarding Collapse Case: मुंबई में सोमवार (13 मई) को तेज हवा और बरसात के कारण कई होर्डिंग और पेड़ गिरे, जिससे 14 लोगों की मौत हो गई. मंगलवार (14 मई) की शाम 4:30 बजे एक बड़ा होर्डिंग पेट्रोल पंप पर गिरा, जहां लोग अपनी गाड़ियों में पेट्रोल और डीजल डलवा रहे थे. वहीं कुछ लोग बारिश से बचने के लिए वहां पनाह लेकर खड़े थे.
इस हादसे में 14 लोगों की मौत के साथ 80 से ज्यादा लोग घायल हुए है. इस हादसे के बाद महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए होर्डिंग लगाने वाली कंपनी ईजीओ (EGO) मीडिया के मालिक भावेइश सिंह और जीआरपी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया.
किसने लगाई थी होर्डिंग?
मुंबई के सबसे प्राइम स्पॉट पर यह होर्डिंग लगाई गई थी, जिस जगह पर यह होर्डिंग लगी थी वो ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे है, जिसकी बाईं तरफ 4 होर्डिंग लगी थी. यह होर्डिंग ईजीओ मीडिया नाम की कंपनी की ओर से लगाई गई थी. इस कंपनी के मालिक भवेश भिंड़े का बैकग्राउंड साफ सुथरा नहीं है, उसके ऊपर पहले से ही कई मामले दर्ज हैं. भवेश भिंड़े के ऊपर कई आपराधिक केस दर्ज हैं, जिसमें रेप का मामला भी शामिल है.
सोमवार को घाटकोपर में हुए हादसे में 14 लोगों की खबर मिलने के बाद से भावेश भिंडे फरार है और उसका फोन बंद है. विज्ञापन एजेंसी के मालिक ने 2009 में मुलुंड निर्वाचन क्षेत्र से एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था और अपने हलफनामे में कहा था कि उनके खिलाफ मुंबई नगर निगम अधिनियम और चेक बाउंस के 23 मामले दर्ज हैं.
सूत्रों के मुताबिक भिंडे को वर्षों से होर्डिंग्स और बैनर लगाने के लिए भारतीय रेलवे और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से कई ठेके मिले थे. भिड़े पर कई बार दोनों निकायों के नियमों का उल्लंघन किया है, उन्हें और उनकी कंपनी के अन्य लोगों को पेड़ काटने के कई मामलों में भी आरोपी बनाया गया है.
होर्डिंग की जमीन किसकी?
होर्डिंग की जमीन गृह विभाग और राज्य सरकार की है, जिसे जीआरपी के वेलफेयर के लिए दिया गया था, जिस जमीन पर होर्डिंग लगाई गई है, वह जमीन कलेक्टर और महाराष्ट्र सरकार पुलिस हाउसिंग वेलफेयर कॉर्पोरेशन के कब्जे में है. वेलफेयर की तरफ से आय के लिए बीपीसीएल (BPCL) से करार कर पेट्रोल पंप लीज पर दी गई थी. वहां पेट्रोल पंप और ईजीओ मीडिया की तरफ से बीएमसी से अनुमति ना लेते हुए जीआरपी से एनओसी (Noc) लेकर 4 होर्डिंग खड़ी की गई, लेकिन बीएमसी से किसी भी तरह से कोई बात नहीं की गई न ही इजाजत ली गई.
होर्डिंग के लिए कौन देता है परमिशन?
होर्डिंग की जो जमीन थी वो जीआरपी के अधीन थी, लेकिन बीएमसी के होर्डिंग नियमों के तहत कोई भी होर्डिंग लगाने के लिए स्थानिक नगर पालिका से अनुमति लेनी पड़ती है. इस होर्डिंग के लिए जाआरपी से एनओसी का पत्र लिया गया था, लेकिन बीएमसी और ट्रैफिक डिपार्टमेंट से भी अनुमति लेना अनिवार्य होता है इसलिए बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी इस होर्डिंग को लगातार अवैध बता रहे हैं.
होर्डिंग लगाने के सुरक्षा नियम और संबंधित विभाग
बीएमसी के आधिकारिक डाटा के मुताबिक हर जगह पर होर्डिंग लगाने के अलग अलग नियम है. घाटकोपर जैसे हाइवे की अगर बात करें तो विज्ञापन बोर्ड का निचला हिस्सा फ्लाईओवर पुल की दीवार के तटबंध से नीचे नहीं आना चाहिए. होर्डिंग का ऊपरी किनारा फ्लाईओवर पुल की तटबंध दीवार के ऊपरी किनारे से ऊंचा नहीं होना चाहिए.
हालांकि, दीवार के तटबंध के ऊपर एमसीजीएम (MCGM) की ओर से छूट के साथ दी गई अनुमति मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) या महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) आदि की ओर से जारी अनुबंध अवधि/ निविदा अवधि की समाप्ति तक जारी रहेगी.
यहां होर्डिंग एमएसआरडीसी, एमएमआरडीए, पीडब्ल्यूडी, एमबीपीटी, मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन, मुंबई मोनो रेल कॉर्पोरेशन या किसी अन्य भूमि स्वामित्व प्राधिकरण की ओर से दी गई अनुमोदित संरचनात्मक डिजाइन के अनुसार ही लगाए जाएंगे. रोशनी के माध्यम से विज्ञापन मुंबई पुलिस की यातायात ब्रांच से एनओसी के अधीन दिया जा सकता है.
होर्डिंग लगाने को लेकर क्या हैं नियम?
एजेंसी या आवेदक की ओर से बोर्ड के निर्माण के बाद एमएमआरडीए या एमएसआरडीसी अधिकारी इसका निरीक्षण करेंगे और वे प्रमाणित करेंगे कि यह दिए गए निर्देश के अनुसार बनाया गया है और भूमि स्वामित्व प्राधिकरण सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हर 2 साल बाद साइट का निरीक्षण करेगा.
फ्लाई ओवर ब्रिज के तटबंध पर लगाए गए बोर्ड की संरचना के लिए रजिस्टर्ड संरचनात्मक इंजीनियर से संरचनात्मक स्थिरता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए. जब भूमि स्वामित्व प्राधिकरण, यानी एमएमआरडीए / एमएसआरडीसी / पीडब्ल्यूडी / एमबीपीटी / मोनो रेल कॉर्पोरेशन / मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन मौजूदा अनुबंध का विस्तार करने में विफल रहता है तो संबंधित प्राधिकरण अप्रिय घटना के साथ-साथ विषय विज्ञापन बोर्ड पर अनधिकृत प्रदर्शन के लिए उत्तरदायी होगा.
होर्डिंग को स्काई-वॉक/फुट-ओवर ब्रिज के फर्श के स्तर से एक मीटर की दूरी पर लगाया जाएगा और विज्ञापन बोर्ड का ऊपरी किनारा स्काई-वॉक/फुट-ओवर ब्रिज की दीवार के तटबंध से अधिक ऊंचा नहीं होगा और एक समान रेखा बनाए रखी जाएगी. हालांकि, तटबंध के ऊपर विज्ञापन प्रदर्शित करने के लिए मौजूदा अनुमति दी गई है.
स्काई-वॉक और फुटओवर ब्रिज के खंभों और किनारों पर प्रबुद्ध बोर्ड के माध्यम से विज्ञापन की अनुमति दी जा सकती है. बशर्ते मुंबई पुलिस की ट्रैफिक ब्रांच से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त हो. विज्ञापन बोर्ड संबंधित सरकारी या अर्ध-सरकारी या स्थानीय या किसी अन्य भूमि स्वामित्व वाले प्राधिकरण की ओर से दिए गए संरचनात्मक डिजाइन के अनुसार ही लगाए जाएंगे.
विज्ञापनदाता की ओर से होर्डिंग लगाए जाने के बाद, निविदा जारी करने वाली एजेंसी के संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों जैसे एमएमआरडीए/ एमएसआरडीसी/ पीडब्ल्यूडी/ एमबीपीटी/ मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन/ मुंबई मोनो रेल कॉर्पोरेशन की ओर से इसका निरीक्षण किया जाएगा और वे प्रमाणित करेंगे कि विज्ञापन बोर्ड चित्र और निर्देशों के अनुसार लगाए गए हैं. निविदा देने वाले प्राधिकरण के अधिकारी सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हर 2 साल में साइट का निरीक्षण करेंगे.
होर्डिंग का सुरक्षा ऑडिट किसने किया?
होर्डिंग लगाने के बाद जो अधिकारी आखिरी फैसला लेता है, उसक हर दो साल में सुरक्षा ऑडिट करना होता है. हालांकि घाटकोपर मामले में तो बीएमसी से इजाजत ही नहीं ली गई तो सुरक्षा ऑडिट का सवाल ही नहीं है. क्योंकि पहले ही नियमों को तोड़ते हुए पहले ही 40×40 की बजाय 120×120 की होर्डिंग लगाई थी.
होर्डिंग मामले पर जिम्मेदारी किसकी?
मुंबई में जब भी कोई छोटा पोस्टर या 100 फिट के होर्डिंग भी लगे तो उसकी जिम्मेदारी बीएमसी की होती है. दूसरी जिम्मेदारी प्रॉपर्टी के मालिक की होती है, जिनकी जमीन पर होर्डिंग लगाई गई है. यहां जिम्मेदारी जीआरपी की भी उतनी ही है. उन्होंने होर्डिंग नियमों का उल्लंघन करते हुए एनओसी दे दी.
BMC फीस लेगी तो सुरक्षा गारंटी किसकी?
घाटकोपर होर्डिंग हादसे की बात करें तो इसमें होर्डिंग लगाने वालों ने बीएमसी से परमिशन भी नहीं ली थी तो उन्हें इस मामले में फीस नहीं मिली है, लेकिन आम तौर पर मुंबई में होर्डिंग की जिम्मेदारी बीएमसी की ही होती है. बीएमसी से बात करने पर भी आय की जानकारी नहीं दी गई, लेकिन उपलब्ध डाटा के मुताबिक नॉन एलईडी होर्डिंग के लिए एक महीने में 5 लाख के करीब रकम वसूली जाती है तो वहीं एलईडी होर्डिंग के लिए रकम दुगनी होती है.
सुरक्षा की बात करें तो बीएमसी के जिस वार्ड में होर्डिंग की जगह मौजूद है उस जगह के अधिकारी और जिसने अनुमति दी है. उस अधिकारी को हर दो साल में होर्डिंग वाली जगह का ऑडिट करना होता है.
पेट्रोल पंप के ठीक बगल में नहीं लगा सकते होर्डिंग
घाटकोपर होर्डिंग मामले में बीएमसी को कोई फीस नहीं मिली है, क्योंकि आरोपी विज्ञापन कंपनी कभी बीएमसी के पास अनुमति के लिए गई ही नहीं थी. ऐसे में पेट्रोल पंप के पास होर्डिंग लगाना गैर कानूनी नहीं है उसके लिए कानून के तहत सही नियम मानना जरूरी है. ऐसे में पेट्रोल पंप के ठीक बगल में होर्डिंग नहीं लगा सकते.
पेट्रोल पंप के 50 मीटर की दूरी पर ही होर्डिंग लगाना होता है. होर्डिंग का मुख्य हिस्सा पेट्रोल पंप के रास्ते पर नहीं पीछे की तरफ होना चाहिए. बीएमसी के नियमों के अनुसार, होर्डिंग लगाने वाली किसी भी एजेंसी को पैनल में शामिल सलाहकारों से स्थिरता प्रमाणपत्र प्रदान करना होगा.
ऐसा प्रमाणपत्र हर दो साल में प्रदान किया जाना चाहिए. साथ ही, होर्डिंग के बीच कम से कम 70 मीटर का अंतर होना चाहिए. बीएमसी को होर्डिंग लाइसेंस फीस से सालाना करीब 100 करोड़ रुपये की कमाई होती है. बीएमसी के अधिकार क्षेत्र में करीब 1,025 होर्डिंग हैं.
उसी जमीन पर तीन और होर्डिंग
उसी जमीन पर 3 और 120 फिट से ज्यादा के कई टन लोहे के होर्डिंग लगे है, जिसको नियमों के तहत निकालने का काम बीएमसी ने शुरू कर दिया. इस बात की जानकारी खुद बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी ने दी है. उन सभी होर्डिंग के नीचे ईजीओ मीडिया का नाम लिखा है, जिसे जीआरपी लैंड पर भावेश भिड़े की कंपनी ने ही खडा किया है.