Mumbai Hospital Redevelopment : देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में लगातार बंद होते अस्पतालों की वजह से अस्पताल के स्टाफ के साथ ही इलाके के मरीजों के सामने भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. ताजा मामला मुंबई के मझगांव (Mazgaon) इलाके का है. यहां के प्रिंस अली खान अस्पताल (Prince Aly Khan Hospital) में उस वक्त हड़कंप मच गया जब अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल में किसी भी मरीज (Patient) को भर्ती नहीं करने का नोटिस लगाया. अस्पताल की तरफ से इसमें ये भी लिखा गया कि यहां किसी भी तरह का कोई ऑपरेशन भी नहीं होगा. इस नोटिस के साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों को तेजी से डिस्चार्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी. अस्पताल के इस फैसले ने यहां काम करने वाले करीब 900 कर्मचारियों को परेशानी में ला दिया है. इन लोगों को अपनी रोजीरोटी का संकट खाए जा रहा है.
आखिर क्यों हो रहा अस्पताल बंद
प्रिंस अली खान अस्पताल (Prince Aly Khan Hospital) में प्रशासन ने अस्पताल में किसी भी मरीज (Patient) को भर्ती न करने का नोटिस लगाया है. दरअसल अस्पताल प्रशासन ने इस नोटिस में लिखा है कि अस्पताल की इमारत करीबन 75 साल पुरानी हो चुकी है. जांच में पाया गया है कि अस्पताल की ये इमारत कभी भी खतरे का सबब बन सकती है. इस वजह से अस्पताल में किसी भी मरीज को भर्ती न करने का फैसला लिया गया है. उधर दूसरी तरफ अस्पताल के स्टाफ का कहना है कि अस्पताल की इमारत एकदम ठीक है. बाकायदा कुछ महीनों पहले ही अस्पताल प्रशासन ने बिल्डिंग की मरम्मत भी करवाई थी. स्टाफ सवाल करता है कि अचानक अस्पताल जर्जर कैसे हो गया.
अस्पताल स्टाफ लगा रहा आरोप
प्रिंस अली खान अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों के मुताबिक आगा ट्रस्ट के तहत चलने वाले इस अस्पताल को ट्रस्ट बंद करना चाहता है. इसकी वजह है ट्रस्ट यहां पर एक लक्जरी बहुमंजिला इमारत बनाने की शुरुआत कर चुका है. इसी ट्रस्ट के कंपाउंड में ये अस्पताल है. अस्पताल के स्टाफ ने इसे साजिश करार दिया है. कर्मचारियों का कहना है कि ट्रस्ट उनकी रोजीरोटी छीनना चाहता है. वही इस इलाके के लोगों का भी मानना है कि अगर ये अस्पताल बंद होता है तो यहां रहने वाले लोगों को इलाज के लिये दर -दर भटकना पड़ेगा.
मुंबई में रिडेवलपमेंट का ये पहला मामला नहीं
मुंबई में रिडेवलपमेंट के नाम पर अस्पताल बंद होने का ये पहला मामला नही है, जिसकी वजह से कर्मचारियों और इलाके के मरीजों के सामने दिक्कते खड़ी हुई हैं. इससे पहले गोरेगांव (Goregaon) के सिद्धार्थ अस्पताल को भी कुछ साल पहले रिडेवलपमेंट के नाम पर गिरा दिया गया था. इस वजह से इस इलाके के लोगों को इलाज के नाम पर दूर -दूर भटकना पड़ रहा है . हाल ही में विधान सभा के विशेष मानसून सत्र में इस अस्पताल का मामला उठाया गया था. सत्र में तब यहां के लोगों की तकलीफ को देखते हुए इसे जल्द से बनवाने की मांग की गयी थी. मुंबई के घाटकोपर इलाके में मौजूद हिंदू सभा अस्पताल को भी रिडेवलपमेंट के नाम पर बंद कर दिया गया है. इस वजह से इस इलाके के लोग परेशान हैं और उन्हे दूसरी जगह महंगा इलाज कराना पड़ रहा है. सवाल ये है कि जब देश की आर्थिक राजधानी में अस्पताल बंद हो रहे हैं, तो इन अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले आखिर कहां जाएंगे ? इसके लिये महाराष्ट्र सरकार (Government Of Maharashtra) को समय रहते ध्यान देने की जरूरत है.
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