नई दिल्ली: कोरोना काल के दौरान खाली पड़ी सड़कें और शुद्ध वातावरण खूब लुभाता था. लेकिन, अब जैसे जैसे देश करोना कॉल से बाहर निकल रहा है तो एक बार फिर से ट्रेफिक कंजेशन की समस्या सामने आने लगी है. भारत के चार बड़े शहरों मुम्बई, बेंगलुरु, दिल्ली और पुणे ट्रैफिक की समस्या दोबारा से कोरोना कब से पहले वाली स्थिति में पहुंचने लगी है. बीते छह महीनों के दौरान लगातार ट्रेफिक कंजेशन की समस्या बढ़ती जा रही है.


टॉम टॉम ट्रैफिक इंडेक्स की रिपोर्ट क्या कहती है


टॉम टॉम ट्रैफिक इंडेक्स के मुताबिक ट्रेफिक कंजेशन के मानकों पर मुंबई दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा ट्रेफिक कंजेशन वाला शहर बन गया है. वही बेंगलुरु छठे नंबर पर तो दिल्ली आठवें नंबर पर और पुणे 16 नंबर पर आया है. वहीं पूरी दुनिया की अगर बात की जाए तो 2020 में मॉस्को में सबसे ज्यादा ट्रेफिक कंजेशन रहा है. भारत के 3 शहरों के टॉप 10 में आने की सबसे प्रमुख वजह है कि आर्थिक गतिविधियां दोबारा से शुरू हो रही हैं. इसके अलावा आमजन पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बजाए अपने निजी वाहनों से सफर करने को तरजीह दे रहे हैं. 2019 की ट्रेफिक कंजेशन रिपोर्ट की अगर बात करें तो पूरी दुनिया में बेंगलुरु पहले नंबर पर आया था जबकि मुंबई चौथे नंबर पर. वहीं पुणे पांचवा सबसे ज्यादा ट्रेफिक कंजेशन वाला शहर बना था और दिल्ली आठवें नंबर पर थी.


2020 में मुंबई में कंजेशन लेवल 53% था जो कि 2019 के मुकाबले 12% कम था. वहीं अगर बात देश की राजधानी दिल्ली की करी जाए तो कोरोना काल होने के बावजूद 2020 में कंजेशन लेवल सिर्फ 9% घटा है. यानी, आने वाले दिनों में समस्या और ज़्यादा बढ़ेगी.


कैसे मिलेगा ट्रैफिक जाम की समस्या से छुटकारा
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस ट्रैफिक जाम की रोज-रोज की समस्या का निदान क्या है. जानकारों का मानना है कि समस्या कई स्तर पर है. ट्रैफिक इंजीनियरिंग का अभाव होने के चलते जाम लगता है. इसके अलावा लगभग 70 फ़ीसदी साइनएज गलत तरीके से लगे होते हैं जिसके चलते समस्या आती है. इसके अलावा पुलिस पीडब्ल्यूडी ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट आदि में सामंजस्य नहीं होता है. ऐसे में जरूरत है की यूनिफार्म ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जाए और साथ ही साथ जंक्शन मैनेजमेंट बेहतर तरीके से किया जाए. इसके अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल को भी बढ़ावा देना होगा. तभी जाकर भविष्य में ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात मिल पाएगा. उबर की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को 4 मेट्रो शहरों में ट्रैफिक कंजेशन के चलते सालाना 1.44 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है.


दिल्ली में हर रोज़ 280 लाख ट्रिप्स होती है
इस बारे में DDA के पूर्व कमिश्नर ए के जैन कहते हैं कि एम्स्टर्डम बेस्ड ऑर्गनिज़ेशन ने यह सर्वे किया है की दिल्ली दुनिया का सबसे फास्टेस्ट ग्रोइंग सिटी है. व्हीकल 300% ज़्यादा बढ़ गई है. 2019 में सर्वे में पाया गया था कि दिल्ली में हर रोज़ 280 लाख ट्रिप्स होती है, जिसमें 40% आफिस जाने वालों के लिए होती है, 30% सिनेमा, शॉपिंग वालो की, 30% एजुकेशनल ट्रिप्स होती है.


-दिल्ली में 100 लाख (1 करोड़ ) व्हीकल इस्तेमाल होती है जिसमें 66% 2 व्हीलर हैं बाकी 4 व्हीलर.


-लॉकडाउन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद था, ट्रिप्स का बोझ पब्लिक ट्रांसपोर्ट उठाते हैं. दिल्ली में मेट्रो बंद, बॉम्बे में लोकल बंद.


-किसान आंदोलन से बॉर्डर सील हो गए हैं , 20% लोग रोज़ दिल्ली में बाहर से आते हैं, जो बड़ा नंबर है. 2019 में लॉकडाउन में ट्रैफिक पुलिस से सर्वे किए थे. जिसमें 150 ऐसे कंजेशन पॉइंट है, जिसको डी कंजेशन के लिए प्लान करना होगा.


-रिप्लानिंग करनी चाहिए. लांग टर्म के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट जो इस वक़्त 40% ट्रिप्स हर दिन कैटर कर रहा है, जो लगभग 120 लाख ट्रिप्स हर दिन हो जाता है. यह 40% कि जगह 80% होनी चाहिए, यह एक चैलेंज है कि 40 से 80 कैसे लाएंगे.


- अर्बन प्लानिंग में 400 मीटर तक का डिस्टेंस में होना चाहिए. सब वॉक करके ताकि एक जगह से दूसरी जगह आराम से जगह जा सके, जिसमे मॉल, आफिस, स्कूल. कांसेप्ट चेंज करना होगा.


- व्हीकल से प्रदूषण हद से ज़्यादा है, दिल्ली में हम सीरियस कंडीशन में है. ट्रैफिक कंजेशन हर जगह है. टैक्सी पूल, मेट्रो कई चीज़े की गई इसको ठीक करने के लिए लेकिन ज़्यादा असर उसका दिखा नहीं. सिक्योरिटी के लिए बैरियर्स की वजह से भी यह बहुत हो गया है.


ये भी पढ़ें 


Republic Day: बांग्लादेश सेना की 122 सदस्य की टुकड़ी दिल्ली पहुंची, गणतंत्र दिवस परेड में लेगी हिस्सा


ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने चीन को ठहराया कोरोना वायरस के लिए जिम्मेदार