मुंबई: 15 अगस्त से मुंबई की लोकल ट्रेन में उन लोगों को भी चलने की इजाजत मिलने जा रही है जिन्होंने वैक्सीन के दोनो डोज लगवाये हैं. ऐसे यात्री जो वैक्सीन का दोनो डोज़ लगवा चुके हैं और 14 दिन बीत चुके हैं, रेलवे उनका लोकल ट्रेन में चलने की लिये पास बनाने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है. इसकी वजह से मुंबई में वैक्सीन का दोनों डोज लगवाने के लिये वैक्सीनेशन सेंटर पर भीड़ भी दिख रही है. ऐसे में एक बात चौंकाने वाली सामने आयी है कि कुछ ऐसे लोग भी हैं जो वैक्सीन का दोनो डोज ले चुके हैं वो भी वैक्सिनेशन की प्रक्रिया शुरू होने के शुरुआती दिनों में ही, लेकिन रेलवे उनका पास नही बना रहा, इसलिये उनके सामने दिक्कत खड़ी हो गयी है.
मुंबई के एक RTI कार्यकर्ता शकील शेख के मुताबिक, उन्होंने वैक्सीनेशन के उस ट्रायल अभियान में तब हिस्सा लिया था जब लोग वैक्सीन लगवाने से डर रह थे. उन्होंने कोविशील्ड के ट्रायल में हिस्सा लिया था. वो खुश भी थे कि सबसे पहले ही वैक्सीन की दोनो डोज ले चुके हैं. लेकिन उनकी खुशी उस वक्त कम हो गयी जब वैक्सीन की दोनो डोज लेने वाले लोगों को रेलवे का पास बनना शुरू हुआ. जब स्टेशन पर पास बनवाने गये तो स्टेशन पर बीएमसी की तरफ वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट का वेरीफिकेशन करने वाली टीम ने बताया की उनका रेलवे पास नहीं बन सकता. इसके पीछे वजह यह है कि उनको दिए गए टीकों को कोविन ऐप (Cowin app) मे दर्ज ही नहीं किया गया.
शकील के मुताबिक वो अकेले ऐसे शख्स नहीं हैं कि जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज लिया है उसके बावजूद उनका लोकल ट्रेन पास नहीं बन पा रहा है. वैक्सीन के ट्रायल के दौरान बहुत सारे लोगों ने हिम्मत जुटाई थी और ट्रायल में शामिल हुए थे. यानि बाकी लोगों के साथ भी ऐसा ही हो रहा है.
आरटीआई कार्यकर्ता शकील कहते हैं कि उन लोगों ने ट्रायल में हिस्सा समाज सेवा की भावना से लिया था. लेकिन यह फैसला मुसीबत का सबब बन जायेगा उन्हें नहीं पता था. शकील के मुताबिक मुंबई के केम्स अस्पताल ने ट्रायल वैक्सीनेशन के दौरान उन्हें एक सर्टिफिकेट भी दिया था जिसे लेकर अब वो इससे संबंधित अधिकारियों के पास घूम रहे हैं. हालांकि, उन्हें दिलासा दिलाया गया है की जल्द से जल्द उनको दिये गये टीके का डाटा कोविन ऐप (cowin app) में दर्ज किया जायेगा.