Mumbai News: बीएमसी की एक वैन से कूड़ा उठाने वाले हेलिया आज इंग्लैंड में पीएचडी करने जा रहे हैं. हेलिया पिछले 12 सालों से कूड़ा उठाने का काम कर रहे हैं. 30 अप्रैल 2023 को हेलिया यूके के लैंकेस्टर विश्वविद्यालय से पीएचडी करने जा रहे हैं. हेलिया के पिता बीएमसी के स्वच्छता विभाग के साथ मोटर लोडर के रूप में काम करते थे. वह जब 18 साल के थे उस समय उनके पिता की बीमारी के कारण मौत हो गई. पिता के मौत के बाद परिवार और तीन भाई बहनों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई. जिसकी वजह से उन्हें यह काम करना पड़ा.
हेलिया बोरीवली पश्चिम के पद्माबाई चॉल में कमरा नंबर 5 में अपनी मां, छोटे भाई और बहन के साथ रहते थे. हेलिया को 2010 में अपने पिता की नौकरी दी गई. हेलिया ने बताया, 'मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि उनको कूड़ा उठाने का काम करना पड़ेगा. काम पर पहला दिन टर्निंग पॉइंट साबित हुआ और चिकन मटन की दुकानों के सामने से कूड़ा उठाना पड़ा. हेलिया ने कहा, वह कूड़ा उठाने और उसके फेंकने के तरीके को नहीं जानते थे जिस कारण उनके कपड़ो में खून लग जाते था.
स्कूलों में जीती कुछ ट्राफियां
हेलिया ने बताया कि वह ठीक से जानते थे कि यह वह काम नहीं है जो वो करना चाहते थे जिसके बाद उन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू की और 2012 में 12वीं के एग्जाम को पास किया. 12वीं के एग्जाम को पास करने के बाद हेलिया के मन में पढ़ाई के प्रति एक अलग उत्साह जग गया. उन्होंने मुंबई के विल्सन कॉलेज में बैचलर ऑफ पॉलिटिकल साइंस में एडमिशन ले लिया. बैचलर की पढ़ाई के दौरान हेलिया की बाक्सिंग में दिलचस्पी बढ़ी और उन्होंने बॉक्सिंग शुरू कर दिया. जिसके बाद हेलिया ने राज्य स्तर पर और स्कूलों में कुछ ट्राफियां जीती.
10 बजे से सुबह 5 बजे तक थी शिफ्ट
हेलिया ने बताया, उनकी शिफ्ट रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक थी. शिफ्ट करने के बाद वह स्टॉल से सांभर के साथ समोसा खा लेते थे. इसके बाद सुबह में विल्सन कॉलेज में क्लॉस करते थे. फिर दोपहर में घर जाकर खाना खाते और नींद पूरी करते थे. नींद पूरी करने के बाद शाम के समय बॉक्सिंग प्रैक्टिस के लिए कॉलेज वापस आ जाते और प्रैक्टिस करता था. प्रेक्टिस के बाद बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर 4-5 उबले अंडे खाते और फिर ड्यूटी के लिए लोडर चौकी जाते थे.
2017 में पूरी की मास्टर डिग्री
हेलिया बताते हैं कि विल्सन में ही उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के बारे में सुना था. विल्सन कॉलेज में साथ पढ़ने वाला एक स्टूडेंट TISS इंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहा था. जिसके बाद उन्होंने भी TISS इंट्रेंस एग्जाम की तैयारी का संकल्प लिया. हेलिया ने TISS इंट्रेंस एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी. हेलिया के कठिन मेहनत और लगन के कारण उनका एडमिशन TISS में सोशल वर्क इन ट्राइबल स्टिडीज में एमए (मास्टर ऑफ आर्ट्स) में हो गया.
उन्होंने बताया कि वह TISS में एडमिशन लेने के बाद सुबह बीएमसी के साथी जिसमें कूड़ा उठाने वाले ट्रक ड्राइवर शामिल थे, उन्हें हर सुबह करीब 5.30 बजे टीआईएसएस कैंपस में छोड़ देते थे. इन परेशानियों का सामना करते हुए उन्होंने 2017 में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की. इसके बाद उन्होंने TISS से एम.फिल की डिग्री भी ली. जो अब यूके की लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने जा रहे हैं.
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